नई दिल्ली, 10 सितम्बर (हि.स.)। भारतीय सेना पिछले एक सप्ताह से पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर चल रहे गतिरोध से निपटने में लगी हुई है, जिसका फायदा उठाकर चीन ने उत्तरी किनारे पर फिंगर एरिया में फिर से बड़े पैमाने पर निर्माण शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं चीन ने उत्तरी किनारे पर फिंगर-4 से फिंगर-8 के बीच लगभग 8 किमी. की दूरी में अपने सैनिकों की तैनाती की है।
जमीनी कमांडरों ने 09 सितम्बर को गतिरोध को हल करने के लिए मुलाकात की। बाद में दोनों कमांडरों ने हॉटलाइन पर भी एक दूसरे के साथ कुछ मैसेज साझा किए। चीन के कमांडर से कहा गया है कि ‘किसी भी कीमत पर चीनी हरकतों को रोकें और साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि ताकत का अतिरिक्त प्रदर्शन या बल का अति प्रयोग न हो।’ चीनी कमांडर ने अपने भारतीय समकक्ष को बताया कि वे निर्माण कार्य के लिए ‘भाले, रॉड और क्लब’ ले जा रहे थे। इस पर भारत की ओर से यह तर्क ख़ारिज ख़ारिज करते हुए कहा गया कि लेकिन यह स्पष्ट है कि इस तरह के उपकरण निर्माण कार्य में इस्तेमाल नहीं किये जाते। इस दौरान दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि गोलीबारी की और घटनाएं नहीं होनी चाहिए। दोनों पक्षों ने कोर कमांडर स्तरीय वार्ता की एक और बैठक आयोजित करने के लिए सहमति व्यक्त की, जिसके लिए तारीख अभी तय नहीं है।
इस बीच पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने उत्तरी किनारे पर फिंगर्स 4-8 के बीच रिज लाइनों पर सैनिकों का जमावड़ा कर लिया है। चीन इस क्षेत्र में पहले से ही मजबूत था लेकिन चीन ने यह कार्यवाही एक दिन पहले तब की है जब दोनों देशों के विदेश मंत्रियों को मॉस्को में आठ देशों के शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के मौके पर मिलने की उम्मीद है। जैसा कि बताया गया है कि चीन ने उत्तरी किनारे पर फिंगर-4 से फिंगर-8 के बीच लगभग 8 किमी. की दूरी में अपने सैनिकों की तैनाती की है। भारत पिछले अप्रैल से फिंगर 4 से आगे नहीं बढ़ पा रहा है, जबसे चीन ने इस क्षेत्र को अपने कब्जे में लिया था। इससे पहले भारतीय सैनिक फिंगर-8 तक गश्त करते थे।
फिंगर एरिया के विवाद को हल करने के लिए अब तक सैन्य और राजनयिक स्तरों पर कई दौर की बैठकों में कोई परिणाम नहीं निकला है। फिंगर एरिया में 4 किमी. का बफर जोन बनाने के समझौते के अनुसार चीन आंशिक रूप से फिंगर-5 तक पीछे हट गया है और भारतीय सैनिकों को फिंगर-2 पर वापस आना पड़ा है। इस तरह चीन पिछले चार महीनों से फिंगर एरिया की रिज-लाइन पर हावी है। कल शाम से इस पूरे इलाके में चीनी सैनिकों का जमावड़ा बढ़ना और चिंता का मुद्दा हो गया है। पिछले एक सप्ताह से भारतीय सेना झील के दक्षिणी चुशुल क्षेत्र की पहाड़ियों पर हावी है। इसी का फायदा उठाकर चीन ने उत्तरी तट पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है।
पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर 29/30 अगस्त के बाद से तनाव अधिक है, जब चीनी सैनिक ‘उकसावे वाली कार्रवाई’ में लगकर दक्षिण तट पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहे थे। इसके बाद भारत को क्षेत्र की प्रमुख ऊंचाइयों वाली खाली पड़ी रणनीतिक चोटियों को अपने कब्जे में लेकर सैनिकों की तैनाती करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस समय पैंगोंग इलाके की लगभग सभी महत्वपूर्ण चोटियों पर भारतीय सेना का कब्जा है, जो रणनीतिक तौर पर काफी अहम है। रक्षा सूत्र ने बताया कि 07 सितम्बर को हुई गोलीबारी की घटना के मद्देनजर 08 सितम्बर को भी चुशुल में ब्रिगेड कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी, जो तनाव को कम करने के लिए नियमित जमीनी स्तर की बातचीत थी।