भारत-चीन के बीच 12वें दौर की सैन्य वार्ता जल्द होने की उम्मीद

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हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और 900 वर्ग किमी. के डेप्सांग मैदानों जैसे विवादित क्षेत्रों पर होगी चर्चा

 चीन ने 26 जुलाई को दिया था प्रस्ताव लेकिन सेना इस दिन मनाएगी कारगिल विजय दिवस



नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स.)। पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर भारत और चीन के बीच जल्द ही 12वें दौर की चुशुल में कोर कमांडर स्तर की वार्ता होगी ताकि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) में अगले चरण के विस्थापन के लिए समझौते को मूर्त रूप दिया जा सके। इस वार्ता में भारतीय सैन्य प्रतिनिधि हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और 900 वर्ग किमी. के डेप्सांग मैदानों जैसे विवादित क्षेत्रों में विस्थापन पर चर्चा करने के लिए मिलेंगे। पिछले साल मई में चीन के साथ विवाद शुरू होने पर डेप्सांग को मौजूदा गतिरोध का हिस्सा नहीं माना जा रहा था लेकिन भारत ने पिछली सैन्य कमांडर की बैठक में एलएसी के साथ सभी मुद्दों को हल करने पर जोर दिया है।

सूत्रों के मुताबिक चीन ने पहले 26 जुलाई को सैन्य वार्ता करने का सुझाव दिया था, लेकिन भारत ने बीजिंग से नई तारीखों पर काम करने को कहा क्योंकि भारतीय सेना इस दिन कारगिल विजय दिवस मनाएगी। इससे पहले भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तरीय 11वें दौर की वार्ता 09 अप्रैल को पूर्वी लद्दाख के चुशुल में हुई थी। दोनों देशों के बीच 11वें दौर की वार्ता को तीन महीने हो चुके हैं। कोर कमांडर स्तर की इस वार्ता में गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स और देपसांग जैसे घर्षण बिंदुओं में विघटन पर ध्यान केंद्रित किया गया था लेकिन चीन ने डेप्सांग के मैदानों, गोगरा और हॉट स्पॉट स्प्रिंग एरिया से पीछे पर साफ़ इनकार कर दिया था। अब फिर अगली सैन्य वार्ता में पूर्वी लद्दाख के डेप्सांग मैदानी इलाकों, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्रों से सेनाओं के विस्थापन करने पर चर्चा होने की उम्मीद है।

भारत-चीन लगभग एक साल से सैन्य गतिरोध में लगे हुए हैं लेकिन इसी साल 20 फरवरी को भारतीय और चीनी सेना ने एलएसी पर तनाव कम करने के लिए 10वें दौर की बातचीत की थी। सैन्य और राजनीतिक दोनों स्तरों पर व्यापक बातचीत के बाद हुए समझौते के तहत सबसे विवादास्पद पैन्गोंग झील क्षेत्र से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गईं। इसके बाद भी चीन एलएसी के पार अपने क्षेत्र में सैन्य बुनियादी ढांचा बढ़ा रहा है। इसे देखते हुए भारत ने चीन के प्रति अपना रुख बदल लिया है। भारत अब वापस हमला करने के लिए सैन्य विकल्पों की पूर्ति कर रहा है और उसी के अनुसार अपनी सेना को फिर से तैयार किया है। भारत ने लगभग 50 हजार सैनिकों को चीन के साथ विवादित सीमा पर तैनात किया है।


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