नई दिल्ली, 21 सितम्बर (हि.स.)। भारत और चीन के बीच सीमा क्षेत्र में तनाव दूर करने के लिए सोमवार को दोनों देशों के सैन्य कमांडरों की बैठक हुई। यह बातचीत पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीन के मोल्डो में सुबह 10.30 बजे से शुरू हुई। देर रात कोर कमांडर वार्ता फाइनल होने के बाद फाइटर जेट राफेल भी एलएसी पर गरजे। पायलटों ने अंबाला से उड़ान भरकर लद्दाख की पहाड़ियों में प्रैक्टिस की ताकि जरूरत पड़ने से पहले पायलट इस वातावरण से परिचित हो सकें।
पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर 20 से अधिक ऊंचाइयों पर कब्जा करने के बाद भारत की रणनीतिक स्थिति मजबूत है।इसलिए कोर कमांडर स्तर की 6वें दौर की इस वार्ता में भारत ने चीनी अधिकारियों पर खुलकर दबाव बनाने के लिए 12 लोगों की टीम बनाई। इस सैन्य वार्ता में पहली बार विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि के तौर पर संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव को भी शामिल किया गया है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित भारतीय थल सेना की 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया लेकिन इस बार लेफ्टिनेंट जनरल स्तर के दो अधिकारी शामिल हुए। उनके अलावा सेना मुख्यालय प्रतिनिधि के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने भी चीन से वार्ता की। वार्ता में शामिल हुए चीनी जनरल ली शी झोंग और जनरल मेनन के बीच अच्छा तालमेल माना जाता है।
दोनों सैन्य अधिकारियों को अरुणाचल में साथ काम करने का अनुभव है। तब चीनी जनरल ली शी झोंग और भारतीय जनरल मेनन ने 2018 में बम ला में पहली मेजर जनरल स्तर की वार्ता का नेतृत्व किया था। तभी से जनरल पीजीके मेनन चीनियों से निपटने में विशेषज्ञ माने जाते हैं। जनरल मेनन को इस बैठक का हिस्सा इसलिए भी बनाया गया क्योंकि वह अक्टूबर से इस डिविजन की कमान संभालने जा रहे हैं। सेना की ओर से मेजर जनरल अभिजित बापट और मेजर जनरल पदम शेखावत भी वार्ता में शामिल हुए। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की ओर से नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर के आईजी दीपम सेठ भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बने। 3 जुलाई को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लद्दाख पहुंचे थे तो आईटीबीपी के सैनिकों के साथ बातचीत के दौरानदीपम सेठ ने ही पीएम मोदी को एस्कॉर्ट किया था।
बड़ी मुश्किल से छठे दौर की वार्ता के लिए तैयार हुए चीन पर दबाव बनाने के लिए मीटिंग से पहले एलएसी पर वायुसेना के नये-नवेले फाइटर जेट राफेल ने भी उड़ान भरी। देर रात पायलटों ने अंबाला से उड़ान भरकर लद्दाख की पहाड़ियों में प्रैक्टिस की ताकि जरूरत पड़ने से पहले पायलट इस वातावरण से परिचित हो सकें। वायुसेना ने बीते 10 सितम्बर को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर आयोजित एक समारोह में राफेल विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया था। इन लड़ाकू विमानों को 300 किलोमीटर से अधिक लंबी दूरी तक मार करने वाली स्कैल्प ‘एयर-टू-ग्राउंड क्रूज मिसाइलों से लैस किया गया है। इसके अलावा सीमा पर कुछ मिराज विमान भी उड़ान भरते देखे गए। हालांकि भारतीय वायुसेना ने पहले से ही सुखोई-30 एमकेआई, मिराज -2000, मिग-29 और अन्य लड़ाकू विमानों की तैनाती कर रखी है।