एलएसी पर भारत-चीन की सेनाएं महज कुछ दूरी पर

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एलएसी पर टैंक, मशीनगन और आधुनिक हथियारों का जमावड़ा – मुखपारी चोटी के करीब महज 170 मीटर की दूरी पर दोनों सेनाएं   – रेजांग लॉ में 500 मीटर की दूरी पर चीनी और भारतीय सैनिक 



नई दिल्ली, 13 सितम्बर (हि.स.)। लद्दाख में भारतीय और चीन सीमा के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर हालात जंग की तरह लग रहे हैं। सीमा रेखा पर छह विवादित जगहों पर दोनों देशों की सेनाएं महज कुछ दूरी पर आमने-सामने हैं। सबसे गरम माहौल पैन्गोंग झील के दक्षिणी ओर है, जहां मुखपारी चोटी पर सिर्फ 170 मीटर और रेजांग लॉ में 500 मीटर की दूरी पर चीनी और भारतीय सैनिक हैं। दोनों तरफ की सेनाओं ने एलएएसी के पास टैंक, मशीनगन और आधुनिक हथियारों का जमावड़ा कर लिया है और एयरफोर्स की ताकत भी बढ़ाई जा रही है।
चीन सीमा पर 6 ऐसे मुख्य विवादित बिंदु हैं, जहां दोनों सेनाएं ठीक आमने-सामने हैं। इसमें सबसे ज्यादा टकराव पैन्गोंग झील के दोनों किनारों पर हैं। इन्हीं इलाकों में भारत ने रणनीतिक ऊंचाइयों वाली चोटियों पर कब्जा करने की जंग में चीन को मात दी है। दक्षिणी किनारे की मुखपारी चोटी के करीब भारत-चीन की सेनाएं महज 170 मीटर की दूरी पर फायरिंग रेंज में हैं। यही वह जगह है जहां चीन ने 07 सितम्बर को फायरिंग की थी और चीनी सैनिक रॉड, भाले और धारदार हथियारों से लैस होकर भारतीय चौकी की तरफ बढ़ रहे थे। झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर एरिया में 900 मीटर की दूरी पर भारत की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स और चीनी सेना है। इसके अलावा पैन्गोंग झील के दक्षिण में स्पंगगुर गैप में भारतीय सेना फायरिंग रेंज में है। रेजांग लॉ में चीनी और भारतीय सेना से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर है तो गोगरा पोस्ट पर भारतीय माउंटेन ट्रूप्स और चीनी सेना के बीच महज 500 मीटर का फासला है।
पैन्गोंग झील के दक्षिण में 07 सितम्बर से ज्यादा तनाव बढ़ा है। इसी दिन शाम 6 बजे के करीब 50 की संख्या में चीनी सैनिकों ने रणनीतिक तौर पर अहम मुखपारी चोटी से भारतीय सैनिकों को हटाने की कोशिश की थी। चीनी सैनिक रॉड, भाले और धारदार हथियारों से लैस होकर भारतीय चौकी की तरफ बढ़ रहे थे। बाद में वायरल हुईं तस्वीरों में भी साफ दिख रहा है कि चीनी सैनिकों के हाथ में धारदार हथियार हैं। भारतीय चौकी की तरफ बढ़ रहे चीनी सैनिकों को जब भारतीय सैनिकों ने रोका तब उन्होंने 10-15 राउंड फायरिंग भी की लेकिन भारतीय जवानों ने संयम बरता और उन्हें खदेड़ दिया। चीन सीमा पर 45 साल बाद यह पहला मौका था जब एलएसी पर गोली चली थी। इसी के बाद से चीन एलएसी के साथ भारतीय सशस्त्र बलों के साथ नए टकराव की तैयारी कर रहा है।
करीब पांच माह से सीमा पर चल रहे विवाद को निपटाने के लिए शनिवार को चुशुल में ब्रिगेड- कमांडर स्तर की वार्ता अनिर्णायक रही। चीन की नई वायु रक्षा प्रणाली को एलएसी के करीब तैनात किया गया है। चीनी सेना के वरिष्ठ अधिकारी 3 दिनों से एलएसी के साथ आगे के क्षेत्रों में लगातार दौरा कर रहे हैं। ब्लैक टॉप के आस-पास के क्षेत्रों में अब चीन की प्रतिक्रियात्मक तैनाती दिखाई दे रही है। भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद चीनी सेना ने बड़े पैमाने पर स्पांजगुर गैप में सहायता शिविर लगाए हैं। पीएलए ने अपने नियंत्रण वाली ब्लैक टॉप चोटी के करीब भारतीय पोस्ट के पास अपनी नई पोस्ट बनाई है।
इस बीच सीमा पर चीन ने टाइप 15 लाइट टैंक्स, इंफैंट्री फाइटिंग व्हिकल्स, एएच4 हॉवित्जर गन्स, एचजे-12 एंटी टैंक्स गाइडेड मिसाइल्स, एनएआर-751 लाइट मशीनगन, डब्ल्यू-85 हैवी मशीनगन और एंटी-मैटेरियल स्नाइपर राइफल्स के साथ भारत को चुनौती दे रहा है। चीन ने एलएसी से लगे इलाकों में सैन्य ठिकानों के साथ-साथ एयरफोर्स की ताकत जुटाना शुरू कर दिया है। उसने तिब्तत के उतांग क्षेत्र में एयरबेस तैयार किया जो एलएसी से सिर्फ 200 किमी की दूरी पर है। चेंगदू जे-20 स्टील्थ लड़ाकू विमान एलएसी पर सक्रिय किए और अब उसने परमाणु बम गिराने वाले बॉम्बर विमानों के साथ तिब्बत के पठारी क्षेत्र में युद्धाभ्यास भी शुरू कर दिया है।
भारत ने भी जबाव में एलएसी पर टी-90 भीष्म टैंक, बीएमपी-2के इन्फैंट्री फाइटिंग व्हिकल्स, एम-777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर गन्स, स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल्स, लाइट मशीनगन्स, टीआरजी स्नाइपर राइफल्स की तैनाती की हुई है। ऐसे ही कुछ हालात आसमान के भी हैं। भारत ने लद्दाख क्षेत्र में सुखोई 30, मिग 29, मिराज 2000, चिनूक और अपाचे हेलिकॉप्टर की तैनाती की हुई है। चुशूल में भारतीय सेना और चीनी सेना के टैंक आमने-सामने हैं तो डेप्सांग प्लेन्स एरिया में भारतीय और चीनी युद्धक टैंक के बीच की दूरी महज 6 किमी. है।

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