नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (हि.स.)। पूर्वी लद्दाख में चीन से चल रहे टकराव के बीच भारतीय वायुसेना अपने फॉरवर्ड एयरबेस लेह पर पूरी तरह चौकन्नी नजर आ रही है। खासकर रात के सन्नाटे में वायुवीर वास्तविक नियंत्रण रेखा के आसमान में लड़ाकू विमान उड़ाकर हर तरह की चुनौतियों से निपटने का संकेत दुश्मनों को दे रहे हैं। वायुसेना का यह एयरबेस पाकिस्तान और चीन के खिलाफ किसी भी तरह का ऑपरेशन करने को तैयार है। वायुसेना के इस फॉरवर्ड एयर बेस से दोनों सीमाओं पर लड़ाकू विमान हथियारों से लैस होकर इलाके की निगरानी कर रहे हैं।
चीन की सरहद से सटे वायुसेना के इस फॉरवर्ड एयर बेस पर जबरदस्त हलचल है और वायुसेना के लड़ाकू विमान लगातार यहां गश्त लगा रहे हैं। दिन में अमेरिकी चिनूक और अपाचे हेलीकॉप्टर्स से अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों को लद्दाख के अलग-अलग इलाकों में सामान भेजा जा रहा है। वायुसेना के इस फॉरवर्ड एयर बेस से चीन पर नजर रखने के लिए फ्रांसीसी राफेल, मिराज-2000, सुखोई-30 और जगुआर की तैनाती की गई है। ये सभी लड़ाकू विमान हथियारों से लैस होकर इलाके की निगरानी कर रहे हैं। मिग-29 (अपग्रेडेड) के अलावा एएलएच-ध्रुव और एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर्स की भी तैनाती की गई है। रात के सन्नाटे में यहां से लड़ाकू विमान भरकर चीन सीमा पर गर्जना कर रहे हैं।
एयरबेस से रात को उड़ानों का संचालन करने वाले जिम्मेदार वायुसेना अधिकारियों का कहना है कि हम रात में किसी भी परिस्थितियों में उड़ान भरने के लिए तैयारी कर रहे हैं। आधुनिक युद्ध में अंधकार की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि रात के अंधेरे में फाइटर जेट्स हो या हेलीकॉप्टर बेहद खतरनाक हो जाते हैं। रात में दुश्मन को चकमा देकर हमला किया जा सकता है, जिससे काफी सामरिक फायदा मिलता है।अमेरिकी चिनूक, अपाचे हेलीकॉप्टर, रूस के पुराने एमआई17वी 5 हेलीकॉप्टर्स या स्वदेशी एएलएच-ध्रुव हेलीकॉप्टर्स भी रात के ऑपरेशन्स करने में सक्षम हैं। रात के समय एयरबेस पर एकदम अंधेरा रहता है और रनवे पर फाइटर जेट्स की छोटी-छोटी लाइट्स के अलावा कुछ नहीं दिखाई देता।
वायुसेना के अधिकारी बताते हैं कि हमारे पायलेट्स भी प्रशिक्षित और प्रोफेशनल हैं, फिर भी किसी भी ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए रात को उड़ान भरने का अभ्यास कर रहे हैं। अन्य मैदानी इलाकों के मुकाबले लेह-लद्दाख के पहाड़ी इलाकों में लड़ाकू विमानों से ‘नाइट ऑपरेशन’ आसान नहीं होता, क्योंकि लेह जैसी ऊंचाई वाले एयरबेस से उड़ान भरने में कई तरह की चुनौतियां होती हैं। यहां ऑक्सीजन की कमी और न्यूनतम तापमान के अलावा लद्दाख जैसी बर्फीली पहाड़ियां फाइटर जेट के लिए उड़ान भरने में किसी चुनौती से कम नहीं होतीं। फिर भी इसी रात के अंधेरे में लड़ाकू विमान अपने ऑपरेशन्स कर रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि यहां अभी से तापमान शून्य से नीचे पहुंच गया है। इन सब कड़ी चुनौतियों के बीच ठंड के समय बर्फबारी शुरू होने पर कम दृश्यता और बर्फीली हवाओं के साथ तापमान और नीचे जाने जैसी मुश्किलें आने वाली हैं। इसीलिए फाइटर जेट राफेल, सुखोई-30 एमकेआई, मिराज-2000, एलएसी तेजस, मिग-29 (अपग्रेडेड) से लगातार उड़ान भरकर वायुसेना के पायलेट्स आने वाले मुश्किल दिनों के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। यह ऑपरेशन्स सिर्फ लद्दाख सीमा पर ही नहीं बल्कि पाकिस्तान सीमा तक करके एक साथ दोनों सीमाओं की निगरानी की जा रही है।