भारत ने फिर खारिज किया गलवान घाटी पर चीन का दावा

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नई दिल्ली, 20 जून (हि.स.)। भारत ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी पर चीन के दावे को खारिज करते हुए कहा है कि 15 जून को इस इलाके में हिंसक झड़प उस समय हुई जब चीन की सेना द्विपक्षीय सहमति की अवहेलना करके कुछ निर्माण कार्य कर रही थी। यह निर्माण 6 जून को उच्च सैन्य अधिकारियों की बैठक में बनी सहमति के खिलाफ था। चीनियों की इस कार्रवाई को जब  रोका गया तब चीनी सैनिक हिंसा पर उतर आए जिसके कारण भारत के 20 सैनिक शहीद हुए।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने पूर्वी लद्दाख में हुए घटनाक्रम पर चीन के विदेश मंत्रालय के ब्योरे के जवाब में शनिवार को पूरे घटनाक्रम को सिलसिलेवार ढंग से सामने रखा। प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्ष नियमित रूप से संपर्क में है। दोनों पक्ष सैन्य और कूटनीतिक प्रक्रिया के तहत शीघ्र बैठक करने के मुद्दे पर भी विचार कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि गलवान घाटी के संबंध में स्थिति हमेशा से स्पष्ट रही है। चीनी पक्ष का घाटी के संबंध में बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा दावा पूरी तरह निराधार है तथा उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। चीन का यह दावा खुद पूर्व में उसके द्वारा अपनाए गए रवैये के विपरीत है। प्रवक्ता ने कहा कि गलवान घाटी सहित भारत-चीन सीमा के सभी सेक्टरों में वास्तविक नियंत्रण रेखा कहां पर है इससे भारतीय सैनिक पूरी तरह वाक़िफ़ हैं। अन्य क्षेत्रों की जगह वे गलवान घाटी में भी वास्तविक नियंत्रण रेखा का पूरी गंभीरता से अनुपालन करते हैं। भारतीय पक्ष ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के दूसरी ओर कभी कोई कार्रवाई नहीं की है। वास्तव में भारतीय सैनिक इस क्षेत्र में लम्बे समय से गश्त करते रहे हैं तथा कभी कोई वारदात नहीं हुई।

विदेश मंत्रालय ने गत दिनों हुए घटनाक्रम का ब्योरा देते हुए कहा कि मई महीने के आरंभ से चीनी पक्ष भारत की ओर से हमेशा की तरह की जा रही सामान्य गश्त में बाधा पैदा कर रहा था। इसके कारण कई बार सैनिकों के बीच झड़प की स्थिति बनी जिसे कमांडरों ने द्विपक्षीय समझौतों और तय तौर तरीकों के अनुरूप सुलझाया। भारत ने चीन की इस दलील को खारिज कर दिया कि भारत यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश कर रहा है।  विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन के इस कथन को स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि वास्तव में भारत यथास्थिति को कायम रखे हुए है।

विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि मई महीने के मध्य में चीनी सैनिकों ने भारत-चीन सीमा के पश्चिमी सेक्टर (पूर्वी लद्दाख) में वास्तविक नियंत्रण रेखा के अन्य क्षेत्रों में अतिक्रमण का प्रयास किया। इन प्रयासों का भारतीय सैनिकों ने माकूल जवाब दिया। इसके बाद दोनों पक्षों ने मौजूद कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों के जरिए विचार-विमर्श किया। ताकि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की गतिविधियों से निपटा जा सके।

हाल के घटनाक्रम के बारे में विदेश मंत्रालय ने कहा कि तनाव करने और झड़प टालने के लिए 6 जून को वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की बैठक में सहमति बनी। इस सहमति पर दोनों पक्षों को अपनी ओर से कदम उठाने थे। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत थे कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कोई ऐसी गतिविधि न की जाए जिससे यथास्थिति में बदलाव हो। इसके बावजूद इस सहमति का उल्लंघन करके चीन ने गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा के ठीक उस पार ढांचा खड़े करने की कोशिश की। जब उसकी इस कार्रवाई को रोका गया तो चीनी सैनिक 15 जून की रात को हिंसा पर उतारू हो गए जिसके नतीजे में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए।

प्रवक्ता ने आगे कहा कि सीमा पर हालात के संबंध में विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने 17 जून को टेलीफ़ोन पर बातचीत की। जयशंकर ने 15 जून को हुई हिंसक झड़प की घटना के संबंध में भारत की ओर से कड़ा विरोध दर्ज कराया। विदेश मंत्री ने चीनी पक्ष की ओर से लगाए गए निराधार आरोपों का दृढ़तापूर्वक खारिज कर दिया। विदेश मंत्री ने दोनों तरफ के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की बैठक में बनी सहमति के बारे में चीनी विदेश मंत्री से कहा कि चीन अपनी कार्रवाई पर फिर से गौर करे तथा स्थिति को सुधारने के लिए कदम उठाए। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों विदेश मंत्री इस बात पर सहमत हुए थे कि पूरी स्थिति को ज़िम्मेदाराना तरीके से संभाला जाए। दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए थे कि गत छह जून की बैठक में बनी सहमति के अनुरूप सैनिकों की टकराव की स्थिति से बचा जाएगा।

भारत ने अपेक्षा व्यक्त की है कि चीनी पक्ष विदेश मंत्रियों के बीच बनी सहमति का पालन करेगा ताकि सीमा पर शांति और सामान्य स्थिति बनी रहे जो द्विपक्षीय संबंधों के व्यापक विकास की आवश्यक शर्त है।

 


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