भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच छठे दौर की यह अहम बैठक करीब 14 घंटे चली जिसमें भारत ने पूर्वी लद्दाख के डेप्सांग मैदानी क्षेत्र, पैन्गोंग झील और गोगरा-हॉट स्प्रिंग एरिया से सैन्य टुकड़ी को पूरी तरह हटाने के लिए कहा। सोमवार सुबह करीब 9 बजे से यह बैठक लद्दाख में चीन की ओर स्थित मॉल्डो में शुरू हुई और रात 11 बजे खत्म हुई। बैठक में चीन पर चारों जगहों से पीछे हटने के लिए दबाव बनाते हुए भारत को दो टूक कहना पड़ा कि एलएसी पर 5 मई के पहले की स्थिति बहाल करनी होगी। इसके अलावा भारत की तरफ से साफ़ कहा गया कि चीन को सीमा पर उन सही जगह से पीछे जाना होगा, जहां-जहां वह आगे आया है। साथ ही पूर्वी लद्दाख में सीमा के साथ डी-एस्केलेशन के रोडमैप को अंतिम रूप देने के लिए दबाव बनाया है। दोनों पक्षों ने बड़े ऑपरेशन से बचने और समस्या का समाधान खोजने की एक और कोशिश की लेकिन सीमा पर विवाद ख़त्म होने की दिशा में कोई बड़ा फैसला नहीं हो पाया।
सूत्रों का यह भी कहना है कि चीन पैन्गोंग झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-4 एरिया से हटकर फिंगर-8 पर जाने को तैयार है लेकिन उसने सभी फिंगर्स पर 50-50 अपने सैनिक स्थाई रूप से तैनात करने की शर्त रखी है जिसे भारत ने मानने से इनकार कर दिया है। भारत ने साफ़ कहा है कि फिंगर एरिया को पूरी तरह खाली करना होगा। सैनिकों का जमावड़ा पीछे हटाने के साथ ही सैन्य हथियार और किये गए पक्के निर्माण और बंकर भी हटाने होंगे। इससे पहले 02 अगस्त को हुई कोर कमांडर स्तर की वार्ता में तय की सहमतियों पर भी बात हुई। इस बैठक में भी चीन से पैन्गोंग झील और फिंगर एरिया को पूरी तरह से खाली करने पर सहमति भी बनी थी लेकिन चीन ने अब तक पीछे हटना तो दूर बल्कि इस इलाके में नई तैनाती की है। चीन ने हाल ही में पैन्गोंग झील में नई बोट्स उतारी हैं जिसमें चीनी सैनिक तैनात हैं।
इसी तरह झील के दक्षिणी छोर को लेकर चीन का अड़ियल रुख बैठक में दिखा। इस भारतीय सीमा क्षेत्र में ‘ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’ के तहत 20 से ज्यादा महत्वपूर्ण पहाड़ियों को अपने नियंत्रण में लेने के बाद भारत राजनीतिक रूप से चीन के मुकाबले ज्यादा मजबूत हो गया है, इसलिए चीन की तरफ से पैन्गोंग झील के दक्षिण किनारे की अहम चोटियों पर भारतीय सैनिकों की तैनाती का मसला उठाया गया। इस पर भारत के अधिकारियों ने चीन की यह बात यह कहकर सिरे से ख़ारिज कर दी कि यह पहाड़ियां भारतीय क्षेत्र में ही हैं, भारत ने एलएसी पार करके किसी पहाड़ी को अपने नियंत्रण में नहीं लिया है। एलएसी के दोनों तरफ तैनात हजारों सैनिकों और हथियारों को पीछे करने और मास्को में बनी पांच सूत्रीय सहमति को जमीनी स्तर पर उतारने का मुद्दा ही मुख्य रूप से चर्चा में रहा।