नई दिल्ली, 01 सितम्बर (हि.स.)। चीन के साथ सन 1962 के युद्ध में मात खाने वाली भारतीय सेना ने 58 साल बाद मौजूदा टकराव के दौरान खासकर उन्हीं मोर्चों पर खुद को मजबूत किया है, जहां-जहां से उसने मात खाई थी। भारत की इन्हीं मजबूत स्थितियों को देख चीन बौखला गया है। इतना ही नहीं चीन का सरकारी मीडिया भी भारत पर भड़का हुआ है और भारत को 1962 से भी ज्यादा तबाह करने की धमकी दे डाली है। सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने अपने संपादकीय में भारत को धमकाते हुए लिखा है कि भारतीय सेना चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से खुद की रक्षा नहीं कर सकती है।
पिछले युद्ध में चीन ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी दोनों हिस्सों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया था और भारत को शिकस्त झेलनी पड़ी थी। इसीलिए मई से ही पूर्वी लद्दाख का पैंगोंग झील इलाका विवाद का बड़ा केंद्र रहा है। करीब 4270 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह झील करीब 135 किलोमीटर लंबी है। पीएलए के सैनिकों ने मई के शुरुआती दिनों से ही पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-4 से फिंगर-8 तक कब्जा कर लिया था। मौजूदा तनाव से पहले चीन का फिंगर-8 में एक स्थायी कैम्प था। चीन ने आठ किलोमीटर आगे बढ़कर फिंगर-4 पर पैंगोंग झील के किनारे आधार शिविर, पिलबॉक्स, बंकर और अन्य बुनियादी ढांंचों का निर्माण कर लिया। इससे पहले फिंगर-8 तक भारतीय सेना पेट्रोलिंग करती रही है। अब जब चीनी सैनिक फिंगर-4 से फिंगर-5 तक पीछे हुए हैं तो भारतीय सैनिकों को भी फिंगर-4 से फिंगर- 3 की तरफ पीछे आना पड़ा है। हालांकि चीनी सैनिक अभी भी रिज लाइन पर हैं।
पैंगोंग झील के दोनों किनारों पर स्थित ऊंची-ऊंची बर्फीली पहाड़ियां युद्ध के दौरान रणनीतिक तौर पर इसलिए अहम मानी जाती हैं, इसलिए पैंगोंग इलाके में रणनीतिक रूप से अहम कुछ बिन्दुओं पर भारतीय सेना ने पहले ही अग्रिम मोर्चे पर तैनाती करके चीन के मुकाबले बढ़त बना ली है। पैंगोंग झील का दक्षिणी इलाका भारत के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां भारतीय सेना की हमेशा मौजूदगी रही है। झील के उत्तरी क्षेत्र में भारतीय सैनिक सिर्फ पेट्रोलिंग करते रहे हैं। यही वजह है कि चीन सैन्य या कूटनीतिक वार्ताओं में भी यहां से भारतीय सैनिकों को हटाने की शर्त रख रहा है। झील का दक्षिणी हिस्सा चुशूल और रेजांग लॉ के करीब पड़ता है। अब चीन की ताजा हिमाकत के बाद भारत ने झील की सभी महत्वपूर्ण जगहों खासकर ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर अपनी तैनाती चीन के मुकाबले और ज्यादा मजबूत कर ली है। भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके में उन जगहों पर खुद को स्थापित कर लिया है जहां से जरूरत पड़ने पर चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया जा सकता है, इसलिए चीन बौखला गया है।
इसी तरह चीन ने पिछले युद्ध में चुशूल के करीब स्थित रेक्विन ला और रेजांग ला के पास भारत के मेजर शैतान सिंह को शहीद करके भारतीय सेना को कमजोर किया था। यानी यह वह रणनीतिक जगह है जहां से चीन इस बार फिर भारत के खिलाफ मोर्चे खोलने की फिराक में था लेकिन भारत ने पिछले कुछ महीनों में चुशूल के पास स्थित स्पांगुर पास पर टी-90 टैंक यानी भीष्म टैंक तैनात कर दिए हैं, जो किसी भी तरह के चीनी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम हैं। चुशूल एक ऐसा इलाका जिसका इस्तेमाल अटैक करने के लिए लॉन्च पैड के रूप में किया जा सकता है, क्योंकि यहां काफी जगह समतल है, जो सैन्य गतिविधियों के लिए मुफीद मानी जाती है। 1962 में चुशूल के पास स्थित रेक्विन ला और रेजांग ला के पास 13वीं कुमाऊं बटालियन ने चीनी सैनिकों से जी-जान से लड़ाई की थी। इस बार भारतीय सेना ने यहां भी अपनी स्थिति मजबूत कर ली है, जहां से चीन को घेरकर भारत मुंहतोड़ जवाब से सकता है।
सन 1962 में मिली जीत के गुमान में चीन इन मोर्चों पर भारत की मजबूत स्थिति देख 58 साल का फासला भूल गया है कि अब वक्त बदल गया है। गलवान घाटी में विवाद के बाद चीनी सैनिकों को भारतीय इलाके से पीछे हटना पड़ा था। इसके अलावा दौलत बेग ओल्डी के पास स्थित डेप्सांग के मैदानी इलाके से हटना पड़ा। भारतीय जवानों ने एलएसी के नजदीक तीन पेट्रोलिंग प्वाइंट्स पर जून में चीनी सैनिकों को रोककर पीछे जाने को मजबूर कर दिया था। अब 29/30 अगस्त की रात में पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके में घुसपैठ नाकाम होने के बाद चीन उल्टा आरोप लगा रहा है कि भारतीय सैनिक उसके इलाके में घुस आए हैं। घटना के बाद हो रही ब्रिगेड कमांडर स्तर की वार्ता में यह मुद्दा उठाकर चीन चाहता है कि वहां से भारतीय सैनिक हट जाएं, जहां ताजा विवाद हुआ है।
घुसपैठ नाकाम होने के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीनी सेना ने एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) को पार नहीं किया। चीनी सेना के प्रवक्ता ने भी मांग की कि भारत अपनी सेना पीछे हटाए। चीन ने भारतीय सेना पर अवैध तरीके से अपनी सीमा में प्रवेश करने का आरोप भी लगाया। इतना ही नहीं भारत की मजबूत स्थिति देख चीनी मीडिया भी बौखलाया हुआ है। चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने अपने संपादकीय में भारत को धमकाते हुए लिखा है कि भारतीय सेना चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से खुद की रक्षा नहीं कर सकती है। अखबार ने ‘आत्ममुग्ध’ होकर लिखा है कि चीन दक्षिण-पश्चिम सीमाई इलाकों में रणनीतिक रूप से मजबूत है और किसी भी स्थिति के लिए तैयार है। अगर भारत शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व चाहता है तो इसका स्वागत है लेकिन अगर भारत किसी भी तरह की चुनौती देना चाहता है तो चीन के पास भारत के मुकाबले ज्यादा हथियार और क्षमता है। अगर भारत सैन्य क्षमता का प्रदर्शन करना चाहता है तो पीएलए भारतीय सेना को 1962 से ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली है।