नई दिल्ली, 09 अक्टूबर (हि.स.)। चीन की घुसपैठ को रोकने के लिए अमेरिका ने हिन्द महासागर (आईओआर) में अंडमान से लेकर डिएगो गार्सिया तक अपनी निगरानी बढ़ा दी है। परमाणु शक्ति से चलने वाला अमेरिकी नौसेना का एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस रोनाल्ड रीगन लगातार उस पूरे इलाके में चक्कर लगा रहा है जहां से चीन समुद्री सीमा में घुसपैठ कर सकता है। इसी क्रम में 90 घातक लड़ाकू विमान और 3000 से ज्यादा नौसैनिकों से लैस रोनाल्ड रीगन अंडमान के पास पहुंचा और पूरे समुद्री क्षेत्र का जायजा लेने के बाद अब डिएगो गार्सिया पहुंच गया है। अमेरिका के सुपरकैरियर्स में यूएसएस रोनाल्ड रीगन को बहुत ताकतवर माना जाता है। यह अकेले अपने दम पर कई देशों को बर्बाद करने की ताकत रखता है।
अमेरिकी नौसेना का एयरक्राफ्ट पी-8 पोसाइडन 25 सितम्बर को लॉजिस्टिक्स और रिफ्यूलिंग सपोर्ट के लिए भारतीय नौसेना के पोर्ट ब्लेयर बेस पर उतरा था। मिसाइलों और राकेट्स से लैस यह विमान कई घंटे तक यहां रहा और अपनी जरूरतें पूरी करने के बाद आगे के सफर पर निकल पड़ा। चीनी युआन वांग-श्रेणी के अनुसंधान पोत ने पिछले महीने मलक्का जलडमरूमध्य (मलक्का स्ट्रेट्स) से हिन्द महासागर क्षेत्र में घुसपैठ की थी। आईओआर में तैनात भारतीय नौसेना के युद्धपोतों ने उसे ट्रैक किया और पीछा करके खदेड़ा। भारतीय नौसेना के जहाजों की लगातार निगरानी में यह जहाज चीन लौट गया। यह पहली बार नहीं हुआ है कि जब चीनी जहाज भारतीय सीमा में घुसा हो। चीन से ऐसे रिसर्च पोत नियमित रूप से भारतीय समुद्री क्षेत्र में आकर यहां के बारे में संवेदनशील जानकारी हासिल करने की कोशिश करते रहे हैं।
भारत के साथ अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया हिन्द महासागर में चीन को घेरने के लिए तैयार बैठे हैं। अगर अब ड्रैगन ने कोई भी हिमाकत की तो उसका अंजाम उसे भुगतना पड़ेगा। भारत से रक्षा समझौता होने के बाद हिन्द महासागर में चीन की घुसपैठ को रोकने के लिए अमेरिका ने भी निगरानी बढ़ा दी है। अमेरिकी नौसेना के निमित्ज क्लास का एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस रोनाल्ड अंडमान के पास पहुंचा। परमाणु शक्ति से चलने वाले इस 332 मीटर लंबे एयरक्राफ्ट कैरियर पर 90 घातक लड़ाकू विमान और 3000 से ज्यादा अमेरिकी नौसैनिक तैनात थे। चीन के व्यापार का बड़ा हिस्सा हिन्द महासागर के जरिए ही खाड़ी और अफ्रीकी देशों में जाता है। चीन अपने ऊर्जा जरुरतों का बड़ा आयात भी इसी रास्ते करता है। अगर भारतीय नौसेना ने यह समुद्री रास्ता बंद कर दिया तो चीन को तेल समेत कई चीजों के लिए किल्लत झेलनी होगी।
खबर यह भी है कि चीन अंडमान से 1200 किमी. दूर अपना नेवल बेस बना रहा है। दरअसल चीन ने बेल्ट एंड रोड परियोजना के जरिए कम्बोडिया में भारी पूंजी निवेश किया है। अब कर्ज न लौटा पाने पर कंबोडिया ने इसके एवज में थाइलैंड की खाड़ी में स्थित रीम नेवल बेस को 99 साल के लिए चीन को सौंप दिया है। यह नौसैनिक अड्डा भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह से लगभग 1200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस समझौते के तहत चीन की नौसेना इस ठिकाने को अगले 40 सालों तक इस्तेमाल कर सकेगी। माना जा रहा है कि चीन यहां अपने एडवांस जे-20 लड़ाकू विमानों को तैनात कर सकता है। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस नौसैनिक अड्डे पर चीन का नियंत्रण होने पर अमेरिका ने भी चिंता जताई है।