बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विधि सलाहकार नजरूल ने कहा-भारत शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए बाध्य

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ढाका : बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कानूनी सलाहकार प्रोफेसर आफिस नजरूल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का प्रत्यर्पण करना भारत के लिए बाध्यकारी है। अगर भारत ने इनकार किया तो ढाका विरोध दर्ज कराएगा। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली 2013 में हस्ताक्षरित आपराधिक प्रत्यर्पण संधि के तहत ऐसा करने के लिए बाध्य है।

बांग्लादेश के अखबार ढाका ट्रिब्यून की खबर के अनुसार, बांग्लादेश में अशांति के महीनों बाद शेख हसीना को कार्यालय छोड़ने और भारत भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। अभियोजकों का दावा है कि 77 वर्षीय हसीना इस गर्मी में सैकड़ों छात्रों और प्रदर्शनकारियों की मौत के लिए जिम्मेदार हैं। उन्हें 18 नवंबर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है। मानवता के खिलाफ कथित अपराधों का हवाला देते हुए न्यायाधिकरण ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को इस तारीख से पहले हसीना और उनके साथ आरोपित 45 अन्य लोगों को पेश करने का निर्देश दिया।

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, हसीना और उनकी अवामी लीग पार्टी के अन्य नेताओं के खिलाफ कथित तौर पर गायब होने, हत्या और सामूहिक हत्याओं के लिए 60 से अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं। बढ़ती हिंसा के बीच पांच अगस्त को हसीना एक सैन्य हेलीकॉप्टर से भारत भाग गईं। इस हिंसा में 1,000 से अधिक लोग मारे गए। इसके बाद उनका राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर दिया गया। बावजूद इसके भारतीय अधिकारियों ने हसीना को नई दिल्ली के बाहरी इलाके में एक सुरक्षित घर में कड़ी सुरक्षा के बीच आश्रय दिया है।

बांग्लादेश के इस अखबार की खबर के अनुसार, यहां तक कि उनकी बेटी साइमा वाजेद भी उन्हें नहीं देख पाई हैं। भारत ने हसीना को पूर्व में अपने पड़ोसी देश को प्रत्यर्पित करने में कोई रुचि नहीं दिखाई है। साइमा दिल्ली में विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण पूर्व एशिया के क्षेत्रीय निदेशक के रूप में काम करती हैं। अंतरिम सरकार के कानून सलाहकार प्रोफेसर डॉ. आसिफ नजरूल ने पिछले सप्ताह भी मीडिया से कहा था, “अगर भारत ईमानदारी से इसकी व्याख्या करता है तो वह निश्चित रूप से हसीना को वापस करने के लिए बाध्य है।”


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