स्वतंत्रता दिवस पर इस बार जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में दिखा नया माहौल

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 जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित होने से कश्मीरियों के अधिकारों का हनन नहीं- केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख ने पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया



श्रीनगर, 15 अगस्त (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के विशेषाधिकार समाप्त कर उसे दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित करने के बाद कश्मीर वासियों ने गुरुवार को एक नए माहौल में स्वतंत्रता दिवस मनाया। श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्यपाल के तौर पर अंतिम बार राष्ट्रध्वज फहराया। इस अवसर पर उनके साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे। स्टेडियम में ध्वजारोहण करने के उपरांत राज्य पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और सेना के बहादुर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि इन्हीं जांबाज जवानों ने देश की एकता व अखंडता को बनाए रखने के लिए सर्वाेच्च बलिदान दिए हैं। लद्दाख में भी स्वतंत्रता दिवस बड़े धूमधाम से मनाया गया। यहां एक बैनर लगाकर लिखा गया था केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख ने पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया।
राज्यपाल ने इस अवसर पर लोगों को विश्वास दिलाया कि जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश घोषित होने पर उनके अधिकारों का कहीं हनन नहीं हो रहा है बल्कि इससे आर्थिक विकास, समृद्धि, सुशासन व आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, नौकरियों के रास्ते खुलेंगे और लोगों में एकता की भावना आएगी। उन्होंने कहा कि इस अवसर को पारंपरिक संस्कृतियों, मूल्यों और भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। कश्मीरी, डोगरी, गोजरी, पहाड़ी, बालटी, शीना सहित अन्य भाषाएं नए परिवेश में कामयाब होंगी। राज्य में सभी जनजातियों और जातियों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिलेगा। उन्होंने  कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की पहचान के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई है। राज्यपाल ने कहा कि लद्दाख के केंद्र शासित बन जाने से वहां के लोगों की लंबित मांग पूरी हो गई है।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए हमारी नीति बिलकुल स्पष्ट है। जो आतंकवादी सीमा पार से अपने आकाओं के कहने पर सुरक्षाबलों पर हमले करते हैं, उन्हें कड़ा सबक सिखाया जा रहा है और वह हार चुके हैं। आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है और आतंकवादियों की नई भर्ती कम हुई है। शुक्रवार को ईद के बाद पत्थरबाजी की घटनाएं होती थी, वो अब बंद हो चुकी हैं। भटके हुए युवा मुख्यधारा में लौट रहे हैं। सीमा पार से घुसपैठ पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीरियों के बिना अधूरा है कश्मीर। हमारी कोशिश है कि कश्मीरी पंडितों की घाटी में सम्मानजनक वापसी हो।
उन्होंने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर का बेहतर भविष्य देख रहे हैं जिसमें जम्मू और श्रीनगर मेट्रोपॉलिटन शहर बनेंगे जिसमें अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे होंगे। पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। जम्मू-कश्मीर में बड़े उद्योग स्थापित होंगे। राज्य मेडिकल क्षेत्र का केंद्र बनेगा। अब महिलाओं के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा। इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ, सेना के जवानों ने परेड में भाग लिया। इस दौरान राज्यपाल ने परेड का निरीक्षण किया। इसके अलावा विभिन्न स्कूलों, कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी के कलाकारों के अलावा सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों ने भी रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस अवसर पर जम्मू, कश्मीर तथा लद्दाख की संस्कृति को दर्शाते नृत्य और गीत संगीत पेश कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
जम्मू के मिनी स्टेडियम परेड और लद्दाख में भी स्वतंत्रता दिवस बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान जम्मू व श्रीनगर में किसी अप्रिय घटना का कोई समाचार नहीं है। कुपवाड़ा जिले के माच्छिल सेक्टर में सुरक्षाबलों ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर स्वतंत्रता दिवस मनाया।

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