नई दिल्ली, 08 मई (हि.स.) । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कैलाश मानसरोवर के लिए लिंक रोड का उद्घाटन किया। सीमा सड़क संगठन ने कैलाश मानसरोवर मार्ग को चीन की सीमा से जोड़ दिया है। चीन सीमा के निकट शेष तीन किमी. की कटिंग का काम सुरक्षा की दृष्टि से अभी छोड़ दिया गया है। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि इससे भारत और चीन के बीच व्यापार को गति मिलेगी। इस पर शनिवार से सेना और अर्द्ध सैनिक बल की गाड़ियों को संचालन की अनुमति होगी।
कोविड-19 महामारी के बीच उत्तराखंड में बीआरओ ने कैलाश मानसरोवर मार्ग को 17,060 फीट की ऊंचाई पर लिपुलेख दर्रे से जोड़ा है। दार्चुला-लिपुलेख सड़क पिथौरागढ़-तवाघाट-घाटीबगढ़ सड़क का विस्तार है। यह घाटीबगढ़ से निकलती है और कैलाश मानसरोवर के प्रवेश द्वार लिपुलेख दर्रे पर समाप्त होती है। 80 किलोमीटर की इस सड़क में ऊंचाई 6000 फीट से बढ़कर 17,060 फीट हो जाती है। उन्होंने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के इंजीनियरों और कर्मियों को बधाई देते हुए कहा कि इनके समर्पण ने इस उपलब्धि को संभव बनाया। टीम बीआरओ ने हाल के वर्षों में जबरदस्त काम किया है और सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रक्षा मंत्री ने आज मानसरोवर यात्रा के लिए लिंक रोड का उद्घाटन करने पर ख़ुशी जताते हुए कहा कि बीआरओ ने धारचूला से लिपुलेख (चीन सीमा) तक कैलाश-मानसरोवर यात्रा मार्ग के रूप में सड़क संपर्क स्थापित किया है। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पिथौरागढ़ से गुंजी तक वाहनों के काफिले को रवाना किया। फ्लैग ऑफ करने के बाद बीआरओ के वाहन गुंजी के लिए रवाना हुए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन की सीमा तक सड़क मार्ग तैयार होने को बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि सड़क का राष्ट्र के निर्माण में अहम योगदान होता है। बीआरओ की सराहना करते हुए कहा कि लिपुलेख तक सड़क बनने से कैलाश यात्रा सुगम होगी और स्थानीय लोगों को भी सड़क सुविधा मिलेगी।
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि इससे भारत और चीन के बीच व्यापार को गति मिलेगी। इस दौरान उन्होंने सड़क निर्माण में जान गंवाने वाले जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए उनके परिवारों के प्रति संवेदना जताई। उन्होंने तवाघाट से लिपुलेख तक सड़क बनने से सीमा सुरक्षा तंत्र के भी मजबूत होने की उम्मीद जताई। तवाघाट से लिपुलेख तक कुल 95 किमी. लंबी सड़क की कटिंग कार्य को पूरा कर लिया गया है। चीन सीमा के निकट शेष तीन किमी. की कटिंग का काम सुरक्षा की दृष्टि से अभी छोड़ दिया गया है।
इस मार्ग पर शनिवार से सेना और अर्द्ध सैनिक बल की गाड़ियों के संचालन की अनुमति होगी। आम लोगों के वाहनों को कुछ दिनों बाद अनुमति दी जा सकती है। इस सड़क के बनने से कैलाश मानसरोवर यात्रा, छोटा कैलाश यात्रा सहित माइग्रेशन पर जाने वाले लोगों के लिए राह आसान होगी। इसके अलावा सामरिक महत्व की दृष्टि से भी इस सड़क का निर्माण महत्वपूर्ण है क्योंकि सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों को भी आवाजाही में सहूलियत मिलेगी। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी उपस्थित थे।