पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा को सुप्रीम कोर्ट ने दी शर्तों के साथ इजाजत
नई दिल्ली, 22 जून (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ पाबंदियों के साथ पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की अनुमति दे दी है। चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के बाद अपने 18 जून के आदेश में बदलाव कर दिया। इस आदेश की विस्तृत जानकारी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड होने के बाद उपलब्ध होगी।
दरअसल सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद चीफ जस्टिस एसए बोब्डे जब आदेश लिखवा रहे थे उस समय उनका माईक बंद हो गया। जिसकी वजह से आदेश कोई नहीं सुन पाया। आदेश लिखवाने के बाद जब उन्होंने सभी पक्षों से पूछा कि आदेश में कुछ और जुड़वाना चाहते हैं तो वकीलों ने कहा कि हमने आपका आदेश सुना ही नहीं। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि आदेश को साथी जजों के पढ़ने के बाद हस्ताक्षर सहित उसे अपलोड कर दिया जाएगा।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि ये करोड़ो लोगों की आस्था का मसला है, सदियों पुरानी परंपरा है। पंरपरा के मुताबिक अगर कल रथ यात्रा नही निकलती तो अगले 12 साल तक यात्रा नहीं निकल पाएगी। तब कोर्ट ने कहा कि शंकराचार्य को इसमें शामिल करने की वजह नजर नहीं आती है। हम बिना वजह इस मामले में लोगो को पक्षकार नहीं बनाना चाहते हैं। रथयात्रा का आयोजन राज्य सरकार के अधीन आने वाले मंदिर ट्रस्ट को करना है।
ओडिशा विकास परिषद के वकील रंजीत कुमार ने कहा कि मंदिर में ढाई हज़ार पंडे हैं। सबको शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाए। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम माइक्रो मैनेजमेंट नहीं करेंगे। स्वास्थ्य गाइडलाइन्स के मुताबिक सरकार कदम उठाए। यात्रा कैसे हो हम इस पर कोई विस्तृत आदेश नहीं देंगे। ओडिशा के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि हम मंदिर कमेटी और केंद्र के साथ समन्वय स्थापित कर यात्रा आयोजित करवाएंगे। श्रद्धालुओं की एक संस्था के वकील ने कहा कि यात्रा का सीधा प्रसारण हो तो हमें कोई समस्या नहीं। इस तरह पूजा भी हो जाएगी और लोगों का स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहेगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा को कुछ प्रतिबंधों के साथ करने की इजाजत दी जाए। इसे पुरी में आयोजित करने की इजाजत दी जाए और पूरे पुरी जिले में प्रतिबंध लगा दिया जाए।
याचिका में कहा गया था कि लोगों को इस रथयात्रा में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं देनी चाहिए और रथयात्रा के इलाके के तीन किलोमीटर के इलाके की बैरिकेडिंग कर देनी चाहिए। याचिका में कहा गया था कि ओडिशा सरकार ने 1172 सेवायतों का कोरोना टेस्ट किया है जो निगेटिव आए हैं। ये रथयात्रा इन सेवायतों के जरिये आयोजित किए जाएंगे जिससे कोरोना का संक्रमण फैलने की आशंका नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 18 जून को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर रोक लगा दिया था। चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि अगर हम कोरोना महामारी के बीच इसकी इजाजत देंगे तो भगवान जगन्नाथ भी हमें माफ़ नहीं करेंगे।
ओडिशा विकास परिषद ने दायर याचिका में लाखों लोगों के जमा होने से संक्रमण की आशंका जताते हुए भगवान जगन्नाथ की 23 जून को होनेवाली यात्रा पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने भुवनेश्वर में इस यात्रा में दस लाख लोगों के जुटने की संभावना है। अगर ये यात्रा नहीं रोकी गई तो कोरोना का संक्रमण फैलने की आशंका है। इस पर कोर्ट ने कहा था कि हम इस यात्रा की अनुमति नहीं देंगे। अगर हम इसकी अनुमति देंगे तो भगवान जगन्नाथ भी हमें माफ नहीं करेंगे। रथयात्रा से संबंधित सभी गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है। यह लोगों के स्वास्थ्य को देखकर किया जा रहा है। ओडिशा राज्य की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि इस यात्रा पर रोक लगाना ही बेहतर है।