राहुल से संवाद में राजीव बजाज ने कहा, देश में खुलासा करने और सच्चाई बताने में कोताही बरती गई

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बजाज ऑटो के एमडी ने कहा, भारत जैसा लॉकडाउन कहीं नहीं देखा



नई दिल्ली, 04 जून (हि.स.)। वैश्विक महामारी कोरोना और लॉकडाउन के संकट के बीच गिरती अर्थव्यवस्था के मुद्दों पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार विशेषज्ञों से संवाद कर रहे हैं। इस सिलसिले में उन्होंने गुरुवार को बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज से चर्चा की। संक्रमण और लॉकडाउन को लेकर लोगों से वास्तविक स्थिति छुपाने के राहुल गांधी के सवाल पर राजीव बजाज ने कहा कि हमारे यहां कुछ खुलासा करने तथा सच्चाई बताने के मामलों में कोताही बरती गई है। लोगों में इस कदर भय पैदा कर दिया गया कि वो उससे उबर ही नहीं सके।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वर्तमान में देश में कोविड-19 और लॉकडाउन की वास्तविकता पर चर्चा के दौरान जब पूछा कि आज की स्थिति देखकर राजीव जी आपको क्या लगता है तो उन्होंने नारायण मूर्ति के कथन को रखते हुए कहा कि ‘जहां संदेह होता है, वहां खुलासा होता है। मुझे लगता है कि हमारे यहां खुलासा करने और सच्चाई के मामले में कमी रह गई।’ बजाज ने कहा कि वायरस को  लेकर लोगों में इतना भय पैदा कर दिया गया है कि लोगों को लगता है कि यह बीमारी कैंसर या कुछ उसके जैसी है। ऐसे में अब जरूरी है कि सरकार कुछ ऐसे उपाय करे जिससे लोगों की सोच बदले और उनका जीवन सामान्य हो सके।

लॉकडाउन को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि यह काफी अजीब है। मुझे नहीं लगता कि किसी ने कल्पना की थी कि दुनिया को इस तरह से बंद कर दिया जाएगा। ऐसे तो विश्व युद्ध के दौरान भी नहीं हुआ। इस पर राजीव बजाज ने कहा कि भारत को जिस तरह से बंद किया गया है यह बहुत ही कठोर लॉकडाउन है। इस तरह के लॉकडाउन के बारे में कभी नहीं सुना। दुनिया भर से मेरे सभी दोस्त और परिवार हमेशा बाहर निकलने के लिए स्वतंत्र रहे हैं।

प्रशासन के व्यवहार पर राजीव बजाज ने कहा कि हमारे देश में जहां हेलमेट नहीं पहनने पर पुलिस कुछ नहीं करती वहीं बिना मास्क पहने लोगों के साथ गलत व्यवहार किया जाता है। उनके हाथ में ‘मैं देशद्रोही’ या फिर ‘मैं गधा..’ आदि लिखी तख्तियां पकड़ा दी जाती हैं। यहां तक की कुछ बुजुर्गों को मैंने देखा है कि वो सुबह ताजी हवा के लिए घर से बाहर निकलते हैं तो उन्हें डंडे मारे जाते हैं। आखिर ये संक्रमण रोकने का कौन सा तरीका है। जापान और अमेरिका जैसे देशों में एक हजार डॉलर प्रति व्यक्ति देने की बातें सुनते हैं लेकिन हमारे यहां प्रोत्साहन तो दूर सहयोग करने में भी काफी दिक्कते हैं।

राहुल गांधी के सवाल कि संकट की घड़ी में हम पश्चिम की ओर क्यों देखते हैं पर राजीव बजाज ने कहा कि भारत ने पश्चिम की ओर सिर्फ देखा ही नहीं बल्कि काफी आगे भी बढ़ गए। इसके बजाय पूर्वी देशों में इस पर बेहतर काम हुआ है। उन्होंने कहा कि हमें जापान और स्वीडन की तरह नीति अपनानी चाहिए थी। वहां नियमों का पालन हो रहा है लेकिन लोगों का जीवन मुश्किल नहीं बनाया जा रहा।

राहुल ने कहा कि गरीबों एवं मजदूरों को नकदी देकर मदद करने के मुद्दे पर सरकार कतराती रही है, ऐसे में हमें क्या करना चाहिए। इस पर राजीव ने कहा कि भारत मुश्किलों से बच नहीं सकता है, उसे खुद को निकालना पड़ेगा। ऐसे में सबसे कारगर कदम होगा अपने मजदूरों को अगले छह महीने तक पैसा दिया जाए। सरकार के इस कदम से बाजार में मांग बढ़ेगी, जिसका लाभ अर्थव्यवस्था के पाले में भी पड़ेगा।

वहीं अर्थव्यवस्था को कैसे बढ़ाए और मैन्युफैक्चरिंग पर कैसे जोर दें के राहुल के सवाल पर राजीव बजाज ने कहा कि भारत की मैन्युफैक्चरिंग पर दुनिया की नजर है, ब्राजील भारत की नीति की तारीफ करता है और इसे बदलाव वाला कहता है। उन्होंने कहा कि अगर आप धोनी बनना चाहते हैं तो आप हर स्पॉट पर नहीं खेल सकते। कंपनियों को भी स्पेशलिस्ट बनना होगा। हम लोग विचारों से काफी खुले हैं, जिसे हमें बनाए रखना होगा।

उल्लेखनीय है कि कोरोना संकट के बीच राहुल गांधी ने विशेषज्ञों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद का सिलसिला शुरू किया है। इससे पहले राहुल ने आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशीष झा व स्वीडन के कैरोलिंसका इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर जोहान गिसेक से बात कर चुके हैं।

 


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