नई दिल्ली, 11 अगस्त (हि.स.)। पाकिस्तान लगातार इस कोशिश में लगा हुआ है कि भारत को अपना दोस्त मानने वाले मुस्लिम देशों को किसी तरह अपनी ओर करके कश्मीर मामले में पूरे मुस्लिम वर्ल्ड को साथ लिया जाए। इसी कोशिश की कड़ी में इमरान खान ने 10 अगस्त को मालदीव के प्रेसिडेंट इब्राहिम मोहम्मद साॅलिह से फोन पर लंबी बात की। इसके पहले इमरान ने 22 जुलाई को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हसीना से भी बात करके गहरे संबंध स्थापित करने की अपनी मंशा जाहिर की थी। इसके अलावा पाकिस्तान यूएई पर भी कश्मीर मामले में साथ खडे़ होने के लिए दबाव डाल रहा है।
पाकिस्तान मीडिया के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्रेस को एक स्टेटमेंट जारी किया है कि इमरान खान ने मालदीव के प्रेसिडेंट को फोन कर दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध स्थापित करने और क्षेत्र के विकास में सहयोग देने की पेशकश की। बाद में मालदीव के प्रेसिडेंट ने भी ट्वीट कर यह कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ आपसी सहमति और सहयोग के क्षेत्र पर अच्छी बातचीत हुई। मालदीव के प्रेसिडेंट को इमरान खान का फोन करना भारत को इसलिए सतर्क करता है, क्योंकि मालदीव ने ही 26 मई को पाकिस्तान के यूएनओ में एक अलग मुस्लिम ब्लाॅक बनाने के प्रस्ताव का विरोध किया था, जिसके कारण वह प्रस्ताव यूएनओ में पास नहीं हो पाया था। पाकिस्तान इसे इस्लामोफोबिया के खिलाफ ग्रुप का नाम देना चाहता था।
पाकिस्तान का मुख्य मकसद आतंकवादियों के खिलाफ कश्मीर में भारत की कार्रवाई को संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर इस्लाम के खिलाफ मुहिम चलाने का रंग देना था। इमरान खान ने प्रेसिडेंट साॅलिह से बातचीत में दक्षिण एशिया में शांति व सुरक्षा की स्थिति पर भी चर्चा की और जोर दिया कि आखिर मालदीव के साथ पाकिस्तान क्यों सहयोग बढ़ाने को महत्व दे रहा है। लगे हाथ इमरान ने प्रेसिडेंट साॅलिह को इस्लामाबाद की यात्रा पर आने का निमंत्रण भी दे दिया।
यूएनओ में पाकिस्तान के स्थाई प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने इसको अंजाम पर पहुंचाने की भरपूर कोशिश की। उसने अपनी तकरीर में कहा कि भारत अपनी सैन्य शक्ति का उपयोग कर कश्मीर के मुसलमानों पर जुल्म ढ़ा रहा है। मुनीर अकरम ने वर्चुअल कांफ्रेंस के जरिए ओआईसी के सदस्य देशों को यह बरगलाने का प्रयास किया कि भारत के खिलाफ एक मजबूत ग्रुप यूएनओ में बनाकर उसे इस्लाम के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका जा सकता है। लेकिन मालदीव और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने पाकिस्तान के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
यूएनओ में मालदीव की स्थाई प्रतिनिधि थिलमिजा हुसैन ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। उन्होंने साफ कहा कि नई दिल्ली पर इस्लामीफोबिया के लिए उंगुली उठाने का मतलब है दक्षिण एशिया में धार्मिक सद्भाव को खत्म करना। मालदीव की प्रतिनिधि ने यह भी कहा कि भारत को इस्लाम के खिलाफ कहना बुनियादी रूप से गलत विचार है। यूनएओ में यूएई के स्थाई प्रतिनिधि लाना नुस्सेबेह ने पाकिस्तान के कहा कि पाकिस्तान द्वारा पेश प्रस्ताव पर यूनओ में ओआईसी ग्रुप नहीं बना सकता। यूएई प्रतिनिधि ने पाकिस्तान से स्पष्ट रूप से कहा कि इस प्रस्ताव पर विचार करने का उपयुक्त मंच ओआईसी के विदेश मंत्रियों का फोरम है।
पकिस्तान उस कोशिश के नाकाम होने के बाद एक तरफ ओआईसी पर दबाव डाल रहा है कि यदि कश्मीर मामले में ओआईसी के विदेश मंत्रियों का सम्मेलन नहीं बुलाया जाता तो पाकिस्तान एक अलग से मुस्लिम देशों का सम्मेलन बुला सकता है। हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने यह धमकी भी दी कि इस्लामाबाद कश्मीर के मुद्दे पर ओआईसी का और इंतजार नहीं कर सकता। पाकिस्तान के इस प्रयास के साथ इस समय तुर्की, इरान और मलेशिया खड़े दिखाई दे रहे हैं, लेकिन बाकी के मुस्लिम देशों ने इस तरह के प्रयास पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। अब इमरान की कोशिश है कि किसी तरह से ओआईसी के इतर उन मुस्लिम देशों के साथ पींगे बढ़ाए जो अपेक्षाकृत नई दिल्ली के करीब हैं। बांग्लादेश और मालदीव भारत के दोस्त मुस्लिम देश हैं।