कोरोना के खौफ से ग्राहकों की आवाजाही घटी, कारोबार पर 30 फीसदी असर: कैट

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नई दिल्‍ली, 18 मार्च (हि.स.)। व्यापारिक समुदाय के शीर्ष संगठन कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि कोरोना वायरस के डर ने बाजारों को जकड़ लिया है। इसके बावजूद राजधानी दिल्‍ली सहित देश के अन्य राज्यों में बाजार बंद करने को लेकर अभी तक किसी भी ट्रेड एसोसिएशन ने निर्णय नहीं लिया है। हालांकि, सरकार जो भी निर्णय लेगी, उसका व्‍यापारी पालने करेंगे। यह बात बुधवार को कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कही है।

खंडेलवाल ने कहा कि कोरोना के भय से ग्राहकों का बाजारों में आना-जाना बहुत कम हो गया है। इससे कारोबार 30 फीसदी तक प्रभावित हुआ है। देश में दिल्ली व्यापार के वितरण का सबसे बड़ा केंद्र है। राज्यों के करीब 5 लाख व्यापारी अपने सामानों की खरीद के लिए हर रोज दिल्ली आते हैं, जिसकी संख्या गिरकर एक लाख हो गई है। उपभोक्ता भी बाजार जाने से बच रहा है।

कैट के अनुसार एक अनुमान के मुताबिक उपभोक्ताओं के बाजारों में न आने से लगभग 30 फीसदी कारोबार प्रभावित हुआ है। उन्‍होंने कहा कि कोरोना वायरस से बचाने के लिए सरकार ने अनेक स्तर पर कई कारगर कदम उठाए हैं। इसलिए सरकार और अन्य एजेंसियों तथा दिल्ली सहित देशभर के व्यापारियों से बातचीत के बाद इस बारे में कोई निर्णय लिया जाएगा।

खंडेलवाल ने कहा कि कैट राजधानी दिल्ली सहित देश के अन्‍य राज्यों के व्यापारी नेताओं के साथ लगातार संपर्क में है। यदि सरकार कोई भी निर्णय अपनी ओर से लेती है तो व्यापारी समुदाय उसका पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि व्यापारी नेताओं ने बाजार बंद कराने के लिए कोई भी निर्णय लेने से पूर्व उसके सभी पहलुओं पर गंभीरतापूर्वक विचार करेंगे, क्योंकि कारोबारियों की दुकानें देश के 130 करोड़ लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ती के लिए पहला संपर्क बिंदु है। देश में लगभग 7 करोड़ व्यापारी हैं, जो 45 करोड़ लोगों को रोजगार मुहैया कराते हैं। अकेले राजधानी दिल्ली में 15 लाख छोटे-बड़े व्यापारी हैं, जो दिल्ली की 1.25 करोड़ की जनसंख्यां की जरूरतों को पूरा करते हैं।

कैट महासचिव ने कहा कि अभी तक व्यापारियों की आपूर्ति श्रृंखला में किसी सामग्री की कमी नहीं है, क्योंकि, ज्‍यादातर आयात करने वाले और देशभर के व्यापारी आमतौर पर 45-60 दिन का बफर स्टॉक रखते हैं। आपूर्ति श्रृंखला में सामान पूरी तरह से प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। अगले 15-20 दिन के लिए आपूर्ति श्रृंखला सप्‍लाई करने में पूरी तरह से सक्षम होगी।

खंडेलवाल ने कहा है कि चीन पर निर्भरता की वजह से घरेलू व्यापार और उद्योग पर भी कोरोना का व्‍यापक असर पड़ने वाला है। उन्‍होंने कहा कि चीन में फरवरी और मार्च के बीच उत्पादन पर करीब 85 से 90 फीसदी तक नुकसान हुआ है, जो कुल मिलाकर तय उत्पादन का करीब 80 फीसदी है। चूंकि भारत मूल रूप से चीन पर तीन पहलुओं से निर्भर रहता है, जैसे तैयार माल का आयात, तैयार माल को बनाने के लिए कच्चा माल का आयात और असेंबलिंग यूनिट्स के लिए स्पेयर पार्ट्स की आवश्यकता। इसलिए चीन में उत्पादन का प्रभावित होना निश्चित तौर पर हमारे घरेलू कारोबार और छोटे उद्योग को प्रभावित करने वाला है।

उन्होंने कहा कि बाजार बंद करना एकमात्र समाधान नहीं है, जब तक कि ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों की बिक्री पर भी प्रतिबंध नहीं लगाया जाता है। क्योंकि ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा वितरित माल में संक्रमण की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। ई-कॉमर्स कंपनियों के डिलीवरी ब्‍यॉय भी अधिकांश लोगों तक सामान पहुंचाते हैं, जिससे वायरस फैलने की संभावना ज्‍यादा है। इसलिए ई-कॉमर्स बिक्री को बंद करना समय की आवश्यकता है।

 


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