कैंसर और आयुर्वेद पर शोध करेंगे आईआईटी दिल्ली और अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान

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नई दिल्ली,  04 जनवरी (हि.स.)। कैंसर का जल्द से जल्द पता लगाने और आयुर्वेद में उसके ठोस इलाज सहित आयुर्वेद के अनुसंधान व इंजीनियरिंग विज्ञान के सिद्धां‌तों पर केंद्रित सात विभिन्न परियोजनाओं पर संयुक्त रूप से काम करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली और अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) ने हाथ मिलाया है।

आईआईटी दिल्ली और एआईआईए नई दिल्ली ने सोमवार को इसके लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इनमें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्राव पर छह आयुर्वेदिक रसों (स्वाद) का प्रभाव जांचना। हर्बल योगों का विकास कर खाना पकाने के तेल के फिर से उपयोग में हानिकारक प्रभावों को कम करना। एक बायोडिग्रेडेबल, हर्बल घाव ड्रेसिंग विकसित किया जाएगा। इसके अलावा तंत्रिका तंत्र पर ‘ब्रह्मरी प्राणायाम’ के प्रभावों का अध्ययन किया जाएगा। न्यूरोडीजेनेरेटिव में फंसे प्रोटीन पर भस्मास के प्रभावों का विश्लेषण किया जाएगा। एक ‘धूपन-यंत्र’ विकसित करके घाव भरने की सहायता के लिए एक धूमन उपकरण विकसित किया जाएगा।

आईआईटी दिल्ली के निदेशक वी रामगोपाल राव ने कहा कि प्रौद्योगिकी के साथ परंपरागत ज्ञान के संगम से समाज को व्यापक रूप से बेहतर स्वास्थ्य देखभाल विकल्प प्रदान करके लाभान्वित किया जा सकता है। इन चिकित्सा पद्धतियों को दुनियाभर में और स्वीकार्य बनाने की दिशा में परंपरागत ज्ञानपद्धति को मान्यता देना महत्वपूर्ण है।

एआईआईए, नई दिल्ली के निदेशक तनुजा नेसारी ने कहा कि दोनों संस्थानों का उद्देश्य आयुर्वेदिक निदान और रोगों के उपचार के मूल सिद्धांतों की गहरी समझ विकसित करना है, ताकि विभिन्न आयुर्वेदिक प्रक्रियाओं के लिए नवीन नैदानिक उपकरण और उपकरण विकसित किए जा सकें।

उल्लेखनीय है कि आयुर्वेद दुनिया की सबसे पुरानी ज्ञात चिकित्सा प्रणालियों में से एक है, जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी। पिछले एक दशक में आयुर्वेद सिद्धांतों के सत्यापन में नए सिरे से रुचि पैदा हुई है।

 


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