इग्नू ने सीबीआरएनई आपदाओं के चिकित्सीय प्रबंधन में पोस्ट ग्रेजुएट सर्टिफिकेट किया लॉन्च

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नई दिल्ली, 30 नवम्बर (हि.स.)। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) से विद्यार्थी अब मेडिकल मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट सर्टिफिकेट कोर्स भी कर सकेंगे। इग्नू के स्वास्थ्य विज्ञान विद्यापीठ (एसओएचएस) ने सीबीआरएनई आपदाओं के चिकित्सीय प्रबंधन में स्नातकोत्तर प्रमाणपत्र (पीजीसीएमडीएम) लॉन्च किया है।

दाखिला की पात्रता एमबीबीएस (एमसीआई. द्वारा मान्यता प्राप्त) है। यह केवल भारतीय नागरिकों के लिए ही है। इसमें शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी  है। यह कोर्स न्यूनतम 6 माह और अधिकतम 2 वर्ष अवधि का होगा। यह जुलाई और जनवरी (दोनों) सत्रों में उपलब्ध होगा।

कार्यक्रम संयोजक प्रो. रुचिका कुबा ने शनिवार को कहा कि सीबीआरएनई का आशय रासायनिक जैविक, वैकिरणीकी, नाभिकीय और विस्फोटक के संबंध में किया जाता है। इनसे संबद्ध आपदाएं आकस्मिक रूप से कभी भी उभर सकती हैं। हालांकि इनका जानबूझ कर इस्तेमाल, बड़े पैमाने पर तबाही ला सकता है।

उन्होंने कहा कि सीबीआरएनई आपदाओं के बारे में फिलहाल जानकारी के अभाव में ऐसा माना जाता है कि इनका निदान कठिन है और चिकित्सीय प्रबंधन सहित इन आपदाओं को प्रबंधित करने के लिए बहुत कम प्रबंधन उपकरण मौजूद हैं। ऐसी आपदाओं के प्रबंधन के लिए विशिष्ट समझ-बूझ एवं कौशलों का होना बेहद जरूरी है जो स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल नहीं है। भारत सीबीआरएनई हमलों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील है। अतः समाज और सरकार दोनों को इनसे निपटने के लिए खास तैयारी करनी होगी।

प्रो. रुचिका ने कहा कि इसके लिए इग्नू ने नाभिकीय औषधि एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इनमास), रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और समेकित रक्षा स्टाफ (आईडीएस) के सक्रिय सहयोग से, एमबीबीएस डॉक्टरों के लिए मुक्त एवं दूर शिक्षा के माध्यम से सीबीआरएनई आपदाओं के चिकित्सीय प्रबंधन में छह माह का एक स्नातकोत्तर प्रमाणपत्र कार्यक्रम विकसित किया है।

उन्होंने कहा कि इस कोर्स को करने के बाद छात्र चिकित्सीय दृष्टिकोण से सीबीआरएनई खतरे के पैरामीटरों, दुष्परिणामों एवं जटिलता को स्पष्ट कर सकेंगे। वह मानव स्वास्थ्य पर रासायनिक, नाभिकीय, जैविक, विस्फोटक और नाभिकीय कर्मकों के प्रभाव को समझा सकेंगे।

 


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