रामपुर में उपद्रवियों पर शिकंजा कसा, नुकसान की भरपाई के लिए 28 लोगों को नोटिस

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रामपुर हिंसा में अब तक 150 से अधिक लोगों की पहचान की गई



लखनऊ, 25 दिसम्बर (हि.स.)। नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) के विरोध में प्रदेश में बीते दिनों हिंसा करने वाले उपद्रवियों पर पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। उत्तर प्रदेश पुलिस वीडियो फुटेज और तस्वीरों की जांच के आधार पर हिंसा करने वाले लोगों की शिनाख्त करते हुए उनकी धड़पकड़ में लगी हुई है।
इस बीच प्रदेश के संवेदनशील माने जाने वाले जनपद रामपुर में भी पुलिस हिंसा और तोड़फोड़ करने वाले प्रदर्शनकारियों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी में जुट गई है। अधिकारियों के मुताबिक रामपुर में हुई हिंसा में लगभग 15 लाख रुपये की सरकारी सम्पत्ति का नुकसान हुआ है। इसमें पुलिस जीप, मोटरसाइकिल, वायरलेस सेट, हूटर, लाउडस्पीकर, हेलमेट वगैरह सामानों के नुकसान का हवाला दिया गया है। इस नुकसान की भरपाई हिंसा शामिल लोगों की संपत्तियों से ही की जाएगी। पुलिस अधीक्षक अजयपाल शर्मा के मुताबिक रामपुर में सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में अब तक 150 से अधिक लोगों की पहचान की गई है।
जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह ने कहा कि पुलिस जांच में 28 लोगों की शिनाख्त करने के बाद नोटिस भेजा गया है। इनके खिलाफ सबूत हैं। सभी 28 आरोपितों से एक सप्ताह में नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है। ऐसा नहीं होने पर रिकवरी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। आरोपितों में से कुछ को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उनकी निशानदेही पर अन्य उपद्रवियों की तलाश की जा रही है। इस बीच एक आरोपित के परिजनों ने उसकी गिरफ्तार गलत तरीके से होने की बात कही है।
आजम का करीबी उपद्रवियों में शामिल, बदले की भावना से कार्रवाई का आरोप
प्रदर्शनकारियों में समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान का एक करीबी सहयोगी भी शामिल बताया जा रहा है। आजम खान का सहयोगी परवेज भी उपद्रवियों के साथ तस्वीरों और वीडियो में पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंकता हुआ नजर आ रहा है। वहीं आजम खां ने प्रशासन एवं पुलिस पर बदले की भावना से कार्रवाई का आरोप लगाया है। उन्होंने सभी बेगुनाहों के नाम मुकदमों से निकालने की मांग करते हुए कहा कि शहर के सम्मानित व प्रतिष्ठित धर्मावलंबियों के द्वारा शांति स्थापित कराने के बाद उन्हीं के साथ असहयोग चिंता का विषय है। शांति और प्यार बना रहे। पूरा देश एक नई करवट ले रहा है।
सपा सांसद ने कहा कि इसी हर ओर निन्दा हो रही है। बेगुनाहों को कत्ल और लूट का मुलजिम बनाना अन्याय की एक नई परिभाषा लिख रहा है। लगभग एक वर्ष से जो दमन चक्र चल रहा है। यह उसी की कड़ी है, जो लोग रामपुर और उत्तर प्रदेश में भी नहीं है। उनको 302 जैसी गंभीर धाराओं में मुलजिम बनाना कहां का न्याय है। आजम ने कहा कि राजनीतिक हार का बदला साजिश रचकर लिया जाना शासन व प्रशासन को शोभा नहीं देता।
रामपुर में एनआरसी और सीएए के विरोध में 21 दिसम्बर को हुई हिंसा में एक युवक की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे। इसके अलावा पुलिसक​र्मी भी जख्मी हुए थे। पुलिस ने इस मामले में तीन रिपोर्ट दर्ज की हैं, जिनमें कई सपा नेता भी शामिल हैं।

 


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