नई दिल्ली, 21 अप्रैल (हि.स.)। देश में कोरोना के हॉटस्पॉट क्षेत्रों में किए जा रहे रेपिड एंटीबॉडीज टेस्ट के नतीजे सवालों के घेरे में आ गए हैं। इसी वजह से भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने राज्यों को अगले दो दिन तक यह टेस्ट न करने का निर्देश जारी किया है। आईसीएमआर ने अगले दो दिनों तक इस टेस्ट किट्स की गुणवत्ता को परखने के लिए आठ इंस्टीट्यूट की टीमों को जांच करने के लिए भेजा है। यह टीमें फील्ड में जाकर इन टेस्ट किट्स की उपयोगिता और इसके नतीजों की जांच करेंगी।
मंगलवार को प्रेसवार्ता में आईसीएमआर के वैज्ञानिक डॉ. रमण आर गंगाखेडकर ने बताया कि रेपिड टेस्ट किट्स के नतीजों को लेकर पश्चिम बंगाल और राजस्थान सहित दो अन्य राज्यों से भी शिकायतें आईं हैं। इस किट्स के नतीजे 6 प्रतिशत से लेकर 71 प्रतिशत ही काम कर पा रहे हैं। इसलिए सभी राज्यों को इस किट्स के इस्तेमाल को दो दिनों के लिए बंद करने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि अगले दो दिन तक आईसीएमआर के वैज्ञानिक इन किट्स के नतीजों की जांच करेंगे और अगर किट्स के नतीजे सही नहीं पाएं गए तो इसके पूरे लॉट के बारे में कंपनी को सूचित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में किट्स के इस्तेमाल से नतीजे 71 प्रतिशत आ रहे हैं, पर सभी किट्स के नतीजों की जांच आवश्यक है। दो दिनों के बाद आईसीएमआर इस बारे में रिपोर्ट जारी करेगा।
रेपिड टेस्ट किट्स कोविड की जांच के लिए उपयुक्त नहीं
डॉ. गंगाखेडकर ने बताया कि कोविड के मरीजों की जांच के लिए रेपिड टेस्ट किट उपयोगी नहीं है। इसके लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट ही उपयोगी है। रेपिड टेस्ट किट का सिर्फ संक्रमण के ट्रेंड का पता लगाने के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है। लोगों को समझना होगा कि इसके नतीजे 71 प्रतिशत तक ही शुद्ध आ पाते हैं। लेकिन क्लस्टर क्षेत्र में संक्रमण के ट्रेंड और फैलाव के बारे में यह अंदाजा देता है।
देश में अब तक करीब साढ़े चार लाख टेस्ट किए गए
आईसीएमआर के मुताबिक देश में कोरोना की जांच के लिए अब तक साढ़े चार लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। पिछले 24 घंटों में ही कुल 35,852 टेस्ट किए जा चुके हैं। इसके साथ ही देश में कोरोना की जांच के लिए 201 सरकारी लैब और 86 निजी लैब को मंजूरी दी जा चुकी है।