प्लाज्मा थेरेपी का क्लिनिकल ट्रायल शुरू, केरल के इंस्टीट्यूट को आईसीएमआर ने दी मंजूरी
नई दिल्ली, 11 अप्रैल(हि.स.)। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद्(आईसीएमआर) ने कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए ब्लड प्लाज्मा थेरेपी के क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी है। ब्लड प्लाज्मा थेरेपी के क्लीनिकल ट्रायल की पहल केरल के श्री चित्र तिरुनल इंस्टिट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नॉलजी ने की है। हालांकि इस संबंध में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से मंजूरी आनी बाकी है। इस प्लाज्मा थेरेपी के मुताबिक बीमारी को मात दे चुके मरीजों के ब्लड प्लाज्मा के एंटीबॉडी को दूसरे मरीज को दिया जाता है, जिससे उसके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
प्लाज्मा थेरेपी क्या है
व्यक्ति के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता खून में व्याप्त वाइट ब्लड सेल और प्लाज्मा में होती है। जब कोई विषाणु शरीर पर हमला करता है तो प्लाज्मा से एंटीबॉडीज निकलना शुरू होते हैं और वो विषाणु का खात्मा कर देते हैं। लेकिन सभी के शरीर में यह प्रक्रिया एक सामान नहीं होती। कुछ लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम होती है। ऐसे मरीजों के लिए ही प्लाज्मा थेरेपी उपयोग में लाई जाती है। आसान भाषा में समझिए कि रोग से लड़ने के लिए स्वस्थ व्यक्ति के प्लाज्मा को रोग से लड़ने के लिए हथियार बनाया जाता है।
कैसे करता है काम
प्लाज्मा थेरेपी एक इलाज की प्रक्रिया है जिसमें एक बीमारी से स्वस्थ्य हो चुके व्यक्ति के शरीर से प्लाज्मा निकाल कर दूसरे गंभीर रूप से बीमार मरीज के शरीर में डालना है। ऐसा ही कोरोना वायरस संक्रमित मरीज के साथ करने की योजना है। इसमें जो मरीज कोरोना को हरा चुका है, उसके शरीर से प्लाज्मा लेकर रोगी से शरीर में ट्रांस्फूजन किया जाता है। इससे इम्युनिटी सेल्स से प्रोटीन उत्सर्जित होता है, जो प्लाज्मा में पाए जाते हैं, जो आवश्यक होने पर रक्त को थक्का बनाने में मदद करते हैं।
यह 100 साल से भी अधिक पुरानी है थेरेपी
प्लाज्मा थेरेपी दरअसल 100 साल पुरानी थेरेपी है। इसे पहले भी फ्लू, चेचक, निमोनिया और अन्य कई तरह के संक्रमण में अपनाया गया कारगर तरीका है। 1918 में आए वैश्विक बीमारी स्पैनिश फ्लू में भी यह तकनीक कारगर साबित हुई थी।
चीन, तुर्की समेत कई देश कर रहे हैं क्लीनिकल ट्रायल
नोवल कोरोना वायरस के रोगी को ठीक करने के लिए चीन के वुहान के नेशनल इंजीनियरिंग टेक्नॉलजी सेंटर फॉर कंबाइंड वैक्सीन में इस संबंध में ट्रायल शुरू कर दिया है। 15 मरीजों पर किए गए ट्रायल में यह तकनीक कारगर साबित होती दिखाई दी है। वहीं, तुर्की ने कोरोना वायरस बीमारी के संभावित इलाज के रूप में प्लाज्मा थेरेपी का परीक्षण शुरू कर दिया है। तुर्की की रेड क्रिसेंट सोसाइटी ने ऐसे ठीक हो चुके मरीजों से रक्तदान की अपील भी की है। वहीं न्यूयॉर्क, ब्रिटेन में भी इस दिशा में काम चल रहा है।