नई दिल्ली, 20 नवम्बर (हि.स.)। वायुसेना में शामिल करने से पहले एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने शुक्रवार को बेंगलुरु में एचएएल लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर में उड़ान भरकर देखा। लम्बे इन्तजार के बाद हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को 15 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) निर्मित करने का ऑर्डर वायुसेना ने दिया है। पाकिस्तान और चीन की सीमा को अधिकतम 300 किमी. की हवाई दूरी की रेंज में रखने के लिए भारतीय वायुसेना किश्तवाड़ में अपने नया एयरबेस बनाने जा रही है। इस नए एयरबेस पर ही एलसीएच की तैनाती किये जाने की योजना है।
वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया इंडियन सोसाइटी ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन के 59वें वार्षिक सम्मेलन का अनावरण करने के लिए इस समय बेंगलुरु में हैं। उन्होंने एचएएल द्वारा निर्मित हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) में सह-पायलट के रूप में एक फाइटर पायलट सूट पहनकर एक घंटे के लिए बेंगलुरु शहर के ऊपर उड़ान भरी। हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के एक अधिकारी ने बताया कि शहर के पूर्वी उपनगर में हमारे हवाई अड्डे से दोपहर के समय उप मुख्य परीक्षण पायलट विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) एसपी जॉन के साथ भदौरिया ने ट्विन सीटर एलसीएच से उड़ान भरी।
रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 15 एचएएल द्वारा निर्मित हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) के प्रारंभिक बैच के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। एलसीएच को भारतीय वायुसेना और भारतीय सेना में शामिल करने के लिए संबंधित एजेंसी ने प्रमाणित किया है। वायुसेना ने सीमित संख्या में 15 हेलीकॉप्टरों के उत्पादन के लिए एचएएल को अनुरोध पत्र जारी किया है, जिसमें 5 सेना हेलीकॉप्टर सेना को मिलेंगे। कंपनी के मल्टी-रोल एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (एएलएच) ध्रुव और इसके हथियार वाले संस्करण रूद्र से आकर्षित होकर एलसीएच के पहले प्रोटोटाइप का परीक्षण मार्च 2010 में किया गया था।
उड़ान भरने के बाद वायुसेना प्रमुख ने कहा कि उत्कृष्ट डिजाइन और इसके विकास के लिए किये गए प्रयासों के कारण एलसीएच शक्तिशाली साबित हुआ है, इसलिए भारतीय वायुसेना जल्द ही इसे अपने बेड़े में शामिल करने का इन्तजार कर रही है। मुझे यकीन है कि एचएएल अपने उत्पादन पर तीव्र गति से आवश्यक ध्यान देगा। एचएएल के अध्यक्ष आर. माधवन ने वायु सेना प्रमुख को धन्यवाद दिया और कहा कि वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) जल्द तैयार होंगे। यह एचएएल द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया उच्चतम उड़ान के साथ विश्व की बहु भूमिका वाला सबसे हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर है।
देश की दोनों सेनाएं एलओसी और एलएसी को अधिकतम 300 किमी. की हवाई दूरी की रेंज में रखने के लिए भारतीय वायुसेना किश्तवाड़ में अपने नया एयरबेस बनाने जा रही है। इस नए एयरबेस पर ही एलसीएच की तैनाती किये जाने की योजना है। यहां से पूर्वी लद्दाख बहुत नजदीक है, इसलिए चीन सीमा तक सैन्य साजो-सामान की पहुंच किश्तवाड़ से आसान हो जाएगी। किश्तवाड़ हेलीपैड से पाकिस्तान सीमा (एलओसी) की अधिकतम दूरी 290 किमी. और चीन की सीमा (एलएसी) की अधिकतम दूरी 220 होगी। यानी कि दोनों सीमाओं पर वायुसेना के एचएएल लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) महज दो से तीन मिनट में पहुंचकर किसी भी मिशन को अंजाम दे सकते हैं। इसकी अधिकतम गति हथियारों के साथ 550 किमी. और लड़ाकू रेंज 300 नॉटिकल मील (340 मील) प्रति घंटा है।