ह्यूमन डेवेलपमेंट रिपोर्ट 2019 में भारत 129वें स्थान पर पहुंचा

0

पिछले साल भारत 130वें स्थान पर था और इस साल एक पायदान आगे बढ़ गया है। इस सूची में 189 देश शामिल हैं।



नई दिल्ली, 09 दिसम्बर (हि.स.)। ह्यूमन डेवेलपमेंट रिपोर्ट 2019 में भारत मामूली बढ़त के साथ 129 वें स्थान पर आ गया है। पिछले साल भारत 130वें स्थान पर था और इस साल एक पायदान आगे बढ़ गया है। इस सूची में 189 देश शामिल हैं।
पिछले तीन दशकों के भीतर तेजी से हुए विकास, गरीबी में कमी और जीवन की उम्मीदों, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल में निरंतर प्रगति हुई है और एशियाई प्रशांत क्षेत्र में मानव विकास में तेजी से वैश्विक वृद्धि देखी गई है। विकास, ब्रॉडबैंड इंटरनेट की पहुंच में विश्व का नेतृत्व करता है लेकिन व्यापक रूप से बहुआयामी गरीबी से जूझ रहा है, विशेषकर भारत और शेष दक्षिण एशिया में और उच्च शिक्षा व जलवायु लचीलापन के आसपास उभर रही असमानताओं के एक नए समूह के लिए असुरक्षित हो सकता है।
यह रिपोर्ट आज जारी हुई है जिसका शीर्षक ‘आय से परे, औसत से परे, आज से परे: 21वीं सदी में मानव विकास में असामनताएं’ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों के गरीबी, भुखमरी और रोगों से बचने वालों की संख्या में अभूतपूर्व कमी आने से मौलिक मानकों में अंतर कम होता जा रहा है। साथ ही अगली पीढ़ी की असमानताएं बढ़ रही हैं  खासतौर से प्रद्योगिकी, शिक्षा और जलवायु संकट के क्षेत्रों में। रिपोर्ट में इन असामनातों का विश्लेषण तीन तरीकों से किया गया है और इससे निपटने के लिए अनेक नीतिगत विकल्प प्रस्तुत किए गए हैं।
ह्यूमन डेवेलेपमेंट इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में मानव विकास मानक मूल्य 50 प्रतिशत बढ़ा है जिसने उसे मध्यम मानव विकास देशों के समूह में औसत से ऊपर ला खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार साल 1990 और 2018 के बीच जन्म के समय शिशु के जीवन की उम्मीद 11.6 वर्ष तक बढ़ी है जिसका मतलब है कि बच्चों के स्कूल जाने में 3.5 की वृद्धि हुई है।
भारत स्थित आवासीय प्रतिनिधि शूकू नोडा ने कहा कि भारत ने देश से गरीबी को घटाने में अपार सफलता पाई है। उन्होंने कहा कि भारत ने प्रधानमंत्री जन धन योजना और आयुष्मान भारत जैसी विकास की जो पहल की है वह यह सुनिश्चचित करेगी कि हम किसी को भी अपने किए गए वायदे से पीछे नहीं छोड़ेंगे और प्रधानमंत्री के ‘सभी का विकास’  के इरादे को पूरा करेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में भारत अमीर देशों की तुलना में काफी पीछे है और यहां पर केवल 24.5 प्रतिशत ही बच्चे स्कूली शिक्षा ले रहे हैं। हालांकि रिपोर्ट में बताया गया है कि 2005-06 से 2015-16 तक 27 करोड़ दस लाख लोगों को भारत में गरीबी की सीमारेखा से ऊपर उठाया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तरक्की के बावजूद इस उपमहाद्वीप में समानताएं बरकरार हैं जो खासतौर पर महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित कर रही हैं। जिसमें कहा गया है कि सिंगापुर में महिलाओं के विरुद्ध उनके साथी द्वारा की जाने वाली हिंसक घटनाएं सबसे कम हैं। दक्षिण एशिया में यह 31 प्रतिशत है जबकि भारत में यह प्रतिशत थोड़ा सा ही कम है। रिपोर्ट में यह भी पूछा गया है कि खासतौर पर जलवायु परिवर्तन और प्रौद्योगिकी परिवर्तन के माध्यम से किस प्रकार भविष्य में असमानताओं को दूर किया जा सकता है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *