हिमाचल: कोरोना महामारी की दहशत में गुजरा साल 2020
शिमला, 25 दिसम्बर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में साल 2020 कोरोना संक्रमण की दहशत में गुजरा। मार्च के दूसरे पखवाड़े में इस जानलेवा महामारी ने प्रदेश में दस्तक दे दी और दिसम्बर तक 53 हज़ार से अधिक लोगों को वायरस ने अपनी चपेट में ले लिया। 887 लोगों की इस महामारी से जान गई। राहत की बात ये रही कि 90 फीसदी मरीज कोरोना को मात देकर स्वस्थ हुए।
राजधानी शिमला में मुख्यमंत्री और मंत्रियों से लेकर कई वरिष्ठ अधिकारियों के संक्रमित होने से शासन में हड़क़म्प मचा रहा। कोरोना ने राज्य की आर्थिकी को करारा झटका दिया। सबसे अधिक नुकसान राज्य के पर्यटन को हुआ। शिमला एवं मनाली समेत पूरे प्रदेश में हज़ारों होटलों के बंद रहने से बड़ी संख्या में लोगों का रोजगार छिन गया। समर सीजन में शिमला पर्यटकों से सूना रहा। कोरोना के कारण पहली बार हिमाचल विधानसभा का शीतकालीन सत्र स्थगित करना पड़ा।
कोरोना वायरस के अलावा हिमाचल प्रदेश में ऐसे सामाजिक एवं सियासी घटनाक्रम हुए, जिन्होंने पूरे देश में सुर्खियां बटोरीं। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अटल टनल रोहतांग के लोकार्पण और भाजपा के वरिष्ठ नेता राजीव बिंदल की विधानसभा अध्यक्ष एवं प्रदेश अध्यक्ष के पदों से छुट्टी राजनीतिक गलियारों में चर्चा में रही। केंद्रीय विवि के परिसर के निर्माण को लेकर केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के बीच तल्खी ने भी खूब सुर्खियां बटोरीं। प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा को नया अध्यक्ष मिला। इसके अलावा भाजपा सरकार में तीन नए कैबिनेट मंत्रियों की ताजपोशी भी इसी साल हुई।
कोरोना महामारी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 अक्टूबर को हिमाचल के लाहौल-स्पीति आये और उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी अटल टनल का लोकार्पण किया। रोहतांग में स्थित 9.02 किलोमीटर लंबी ये टनल मनाली को लाहौल स्पीति से जोड़ती है। पीरपंजाल की पहाड़ी को भेदकर 3300 करोड़ की लागत से बनी यह टनल दुनिया की सबसे ऊंचाई (10040 फीट) पर लेह-मनाली हाईवे पर बनी है। इस ऐतिहासिक टनल के खुलने से लाहौल के लोग सर्दियों में बर्फबारी के चलते छह माह तक शेष दुनिया से नहीं कटेंगे। टनल से मनाली और लेह के बीच दूरी 46 किमी कम हो गई है।
यह टनल सामरिक एवं रणनीतिक तौर पर भी देश के लिए कई मायनों में खास है। टनल के ज़रिए सेना रसद लेकर चीन से सटी सीमा लद्दाख और पाकिस्तान से सटे करगिल तक आसानी से पहुंच जाएगी। मात्र डेढ़ घंटे में मनाली से केलांग पहुंचा जा सकता है। पीएम मोदी ने टनल के लोकार्पण अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि टनल के बनने से पूर्व दिवंगत पीएम एवं भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का सपना पूरा हुआ है। इससे हिमाचल के पर्यटन को गति मिलेगी।
भाजपा नेता राजीव बिंदल के लिए साल 2020 सियासी झटके के रूप में साबित हुआ। जनवरी 2020 में बिंदल ने विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और उन्हें प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। लेकिन महज़ 4 माह बाद उन्हें अध्यक्ष पद भी छोड़ना पड़ा। दरअसल तत्कालीन स्वास्थ्य निदेशक के रिश्वत प्रकरण में नाम आने पर बिंदल ने नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सांसद सुरेश कश्यप को भाजपा का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
हिमाचल सरकार में मंत्रियों के विभागों में फेरबदल के लिए भी यह साल जाना जाएगा। अधिकतर मंत्रियों के विभागों में तब्दीलियां की गईं। स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार को हटाकर उन्हें विधानसभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, वहीं सामाजिक न्याय मंत्री राजीव सहज़ल को स्वास्थ्य महकमे की जिम्मेदारी दी गई। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भाजपा के तीन विधायकों सुखराम चौधरी, राकेश पठानिया और राजेंद्र गर्ग को मंत्री बनाया। पहली बार विधायक बने राजेन्द्र गर्ग का मंत्री बनाया जाना चर्चा में रहा। हिमाचल के लिए साल 2020 कोरोना वायरस और उससे उपजी चुनौतियों के नाम रहा। कोरोना महामारी फैलने की वजह से लोगों का जीवन परेशानियों से भर गया।
लॉकडाउन से जहां लोग महीनों तक घरों में ही रहे, वहीं बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों पर भी गहरा संकट छा गया। इस दौरान हजारों लोग तो पैदल ही घरों के लिए भूखे-प्यास निकले। महामारी के काल में काफी लोगों की जान चली गई। जून माह तक हिमाचल ने इस महामारी को नियंत्रित रखा और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की कार्यशैली की पीएम मोदी ने भी तारीफ की। हालांकि अक्टूबर के बाद प्रदेश में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी ने शासन एवं प्रशासन को हिला कर रख दिया।
स्वास्थ्य संस्थानों में कई व्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठने लगे। विपक्ष से लेकर सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने भी अस्पतालों में कोविड के इंतजामों पर नाखुशी जताई। आरम्भ में कांगड़ा, हमीरपुर, सोलन और सिरमौर जिलों में कोरोना का कहर देखा गया, लेकिन बाद में शिमला और मंडी जिला कोरोना के गढ़ बन गए। जनजातीय जिलों लाहौल-स्पीति और किन्नौर में भी कोरोना ने लोगों को चपेट में लिया। नवम्बर माह में फेस्टिवल सीजन के दौरान कोरोना के पीक पर पहुंचने से राज्य में हालात बिगड़े और इस वजह से शिमला सहित चार जिलों में नाइट कर्फ्यू सहित अन्य बंदिशें सरकार को दोबारा लगानी पड़ीं।
इस साल राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में 23 फीसदी की कमी आई। राज्य में बड़ा सड़क हादसा नहीं हुआ। कोरोना काल में राज्य में नशाखोरी के मामलों में कोई कमी नहीं आई और सैंकड़ों तस्कर पुलिस के हत्थे चढ़े। मंडी और हमीरपुर जिले में 1-1 करोड़ हेराइन पकड़ने के मामले सामने आए हैं।