हाउडी मोदी :वैश्विक मीडिया की मिश्रित प्रतिक्रिया

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पाकिस्तानी अखबारों ने रैली से ज्यादा विरोध-प्रदर्शन को बढ़ा-चढ़ाकर छापा- अमेरिकी समाचारपत्रों ने अपने राष्ट्रपति की आलोचना की



नई दिल्ली, 23 सितंबर (हि.स.)।देश की तरह ही विदेश में भी होने वाली प्रधानमंत्री मोदी की रैलियां बहुत सफल रही हैं। अमेरिका के ह्यूस्टन शहर के एनआरजी स्टेडियम में आयोजित ‘हाउडी मोदी’ रैली इसकी ताजा नजीर है।
विदित हो कि पूर्व के मोदी के विदेशी कार्यक्रमों के मुकाबले इसे अत्यधिक कामियाब और ऐतिहासिक माना जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह दुनिया के सबसे ताकतवर लीडर कहे जाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति का इसमें प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच साझा करना रहा। पचास हजार लोगों विशेषकर भारतीय-अमेरिकी हुजूम को दुनिया के दो प्रभावशाली नेताओं ने सम्बोधित किया। इस दौरान दोनों देशों के मजबूत सम्बंधों की भी दुनिया गवाह बनी। यही कारण है कि इस महाआयोजन ने दुनियाभर की मीडिया को अपनी तरफ आकर्षित किया।
हमसाया मुल्क पाकिस्तान के भी लगभग सभी अखबारों को इसे अपने प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित करने को  मजबूर होना पड़ा। अलबत्ता सरहद उस पार का अधिकतर मीडिया कार्यक्रम स्थल से बाहर हुए विरोध प्रदर्शनों को ज्यादा हवा देता नजर आया।
पाकिस्तान के प्रतिष्ठित दैनिक उर्दू अखबार ‘जंग’ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि ह्यूस्टन में भारतीय मूल के अमेरिकी को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि आज हमारे सम्बध पहले की तुलना में भारत से कहीं अधिक मजबूत हैं। दोनों देश इस्लामी कट्टरवाद और आतंकवाद से मिलकर लड़ेंगे, जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 9/11 और 26/11 आतंकी हमलों का जिम्मेदार एक ही देश है। आतंकवादियों के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई का समय आ गया है। दहशतगर्द अनुच्छेद-370 का गलत इस्तेमाल कर रहे थे।
वहीं दैनिक जंग के साथ-साथ रोजनामा नवाएवक्त, अंग्रेजी समाचारपत्र ‘डान’ और ‘ट्रिब्यून’ ने इस अवसर पर हुए विरोध-प्रदर्शन को अपने प्रथम पृष्ठ पर खूब बढ़ा-चढ़ाकर प्रकाशित किया है। इन खबरों के अनुसार ह्यूस्टन में प्रधानमंत्री मोदी की रैली से पूर्व टेक्सास प्रांत के विभिन्न शहरों से लोग सिख नेशनल सेंटर में एकत्रित हुए और वहां से एनआरजी एरीना तक मार्च किया। इस दौरान ट्रंप की स्टेडियम में मौजूदगी के दौरान हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान ह्यूस्टन की फिजा ‘गो मोदी गो’ के नारों से गूंज उठी। प्रदर्शनकारी बैनर और पोस्टर लिए हुए थे और उनकी टी-शर्ट और कैप पर भारत विरोधी नारे लिखे हुए थे।
नवाएवक्त के अनुसार इन पर ‘खालिस्तान आंदोलन’, ‘कश्मीर को आजादी दो’ और ‘भारतीय कब्जा खत्म करो’ के नारे लगे थे। दैनिक ट्रिब्यून का दावा है कि प्रदर्शनकारी लगभग 40 हजार की तादाद में थे।
उधर हमारे एक और पड़ोसी देश चीन की मीडिया में इस पर बहुत नपीतुली खबरें प्रकाशित हुई हैं। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने लिखा है,  ‘रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भारतीय मूल के अमेरिकियों की विशाल जनसभा में मंच साझा किया, जबकि कश्मीर में स्थिति अब भी काफी तनावपूर्ण है’।
खाड़ी देशों की मीडिया में भी हाउडी मोदी रैली से सम्बंधित खबरें छाई रहीं। संयुक्त अरब अमीरात के सबसे बड़े अंग्रेजी ग्रुप ‘गल्फ न्यूज’ ने रैली से सम्बंधित समाचारों के साथ-साथ इसकी रंगारंग तस्वीरें भी प्रकाशित की हैं। दोनों नेताओं द्वारा एक दूसरे की तारीफ किए जाने, भारत-अमेरिका सम्बंधों में मजबूती आने और मोदी के ट्रंप से काफी कुछ सीखने का जिक्र है। इसके साथ ही तस्वीरों में एक दूसरे का हाथ पकड़कर चलने, गले लगने, भीड़ का अभिवादन स्वीकार करने और खचाखच भरे स्टेडियम जैसी झल्कियां हैं।
अमेरिकी मीडिया में हाउडी मोदी रैली के खूब चर्चे हैं, लेकिन वहां के कुछ प्रतिष्ठित समाचारपत्रों ने इसको लेकर अपने राष्ट्रपति ट्रंप की आलोचना भी की है। समाचार पत्र न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा कि ’‘भारतीय प्रधानमंत्री के लिए आयोजित रैली को ट्रंप ने वैकल्पिक भोंपू के तौर पर इस्तेमाल किया, लेकिन एक जानी-पहचानी धुन के साथ’’। अखबार ने आगे इसकी व्याख्या करते हुए लिखा है ‘‘इतनी बड़ी भीड़ कोई कभी बेकार नहीं जाने देगा।”  ट्रंप ने ह्यूस्टन में एनआरजी स्टेडियम की विशाल जनसभा को अपनी भीड़ मानकर कहा- भारत को बतौर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अच्छा दोस्त व्हाइट हाउस में नहीं मिला है’।
वाशिंगटन पोस्ट ने भी इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हुए लिखा ‘ह्यूस्टन में ट्रंप ने गर्मजोशी दिखाने के लिए अनोखा अंदाज दिखाया’। आगे पोस्ट ने लिखा है कि ह्यूस्टन में नारेबाजी करती हजारों भारतीय-अमेरिकन की भीड़ को सम्बोधित करने लिए दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र के नेताओं ने मंच साझा किया और वहां मोदी ने ट्रंप की तारीफों के पुल बांधे।
अखबार ने यह भी लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप के ईगो को सहलाकर अमेरिका के साथ भारत के तनाव को कम करने की कोशिश की। वाशिंगटन पोस्ट की खबर के इस हिस्से को बीबीसी ने भी अपनी हेडलाइन बनाकर चलाया है।

 


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