पहुंचाया कतर जेल हनीमून पैकेज ने , एनसीबी ने बचाकर दो साल बाद लौटाया घर
नई दिल्ली, 14 अप्रैल (हि.स.)। अगर आप सोशल साइड के द्वारा हनीमून पैकेज लेते है तो सावधान हो जाए, कहीं आपको जेल न जाना पड़ जाये। दरअसल हनीमून पैकेज का तोहफा देकर एक ड्रग्स तस्कर गैंग ने पति-पत्नी को घूमने के लिए कतर भेज दिया, लेकिन दंपत्ति जब एयरपोर्ट पहुंचा तो उनके बैग से ड्रग्स की खेप बरामद हुई। दोनों को कतर जेल में डाल दिया गया और सुनवाई के बाद वहां के कोर्ट ने उन्हें सजा भी सुना दी, लेकिन भारत में परिजनों की शिकायत पर जांच कर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने उस गैंग का पर्दाफाश करते हुए दंपत्ति को साक्ष्यों के साथ कतर कोर्ट से निर्दोष करार कराया। दंपत्ति दो साल बाद बुधवार को मुम्बई अपने घर लौट रहे हैं।
हनीमून पैकेज स्पॉन्सर किया गया
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के जोनल डायरेक्टर केपीएस मल्होत्रा ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ को बताया कि छह जुलाई, 2019 को मोहम्मद शरीक और उसकी पत्नी ओनिब कौसर शादी के बाद कतर गये थे। उनका हनीमून पैकेज स्पॉन्सर किया गया था। हमद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जब पहुंचे तो उनके बैग की तलाशी ली गई। जिसमें 4.1 किलो हशीश बरामद हुई। इसके चलते उन्हे कतर में गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों के ऊपर केस चलाया गया। उन्होंने अपने परिजनों को वहां से जानकारी दी कि उन्हें ड्रग्स के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। जिसके बाद परिजनों ने इस मामले को लेकर पीएमओ सहित कई एजेंसियों में शिकायत दर्ज कराई।
पीएमओ ने दिया एनसीबी को जांच का जिम्मा
पीएमओ ने यह शिकायत एनसीबी के पास जांच के लिए भेजी। इसकी प्राथमिक जांच में यह पाया गया कि इस कपल को फंसाया गया है। इस शिकायत की जांच एनसीबी के डीजी राकेश अस्थाना ने करवाई। लड़की के पिता शकील अहमद ने पुलिस को बताया कि उन्हें कोर्ट ने 10 साल की सजा एवं 300 हजार रियाल जुर्माने की सजा सुनाई गई है। उन्हें इस मामले में फंसाया गया है। जांच में पता चला कि यह एक ड्रग तस्कर गैंग का काम है। उन्हें बताए बिना उनके बैग में ड्रग्स छिपा दिया गया। कुछ रिकॉर्डिंग एवं टेक्निकल साक्ष्य भी मिले, जिससे पता चला कि यह दंपत्ति निर्दोष है।
हनीमून पैकेज के नाम पर फंसाया
शकील अहमद ने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी और दामाद को हनीमून पैकेज पर भेजा गया था। यह पैकेज उनकी रिश्तेदार तबस्सुम रियाज एवं निज़ाम कारा द्वारा दिया गया था। मुम्बई के रहने वाले इन दोनों लोगों ने ही उन्हें बैग दिया था, जिसमें चरस छिपाकर रखी गई थी। उन्होंने इससे संबंधित दस्तावेज एवं अपने दामाद और तबस्सुम के बीच की बातचीत के ऑडियो भी एनसीबी को दिए। उन्हें पता चला कि निज़ाम कारा और तबस्सुम एक ड्रग्स सिंडिकेट चलाते हैं। इसके बाद उनकी टीम ने दोनों पर लगातार नजर रखना शुरू किया।
चार आरोपितों को किया गया गिरफ्तार
एनसीबी ने इस पूरे मामले का पर्दाफाश करने के लिए अपना ऑपरेशन लांच किया। 26 फरवरी 2020 को चंडीगढ़ से इस गैंग के चार सदस्यों को गिरफ्तार कर उनके पास से 1.4 किलो चरस बरामद की गई। इनकी पहचान वेदराम, महेश्वर, शाहनवाज और शबाना के रूप में की गई। इनसे पूछताछ में पता चला कि निज़ाम कारा और उसकी पत्नी शहीदा कारा के इशारे पर चरस की यह खेप शाहनवाज और शबाना ने खरीदी थी। इसे खरीदने के लिए रुपये भी उन्होंने दिए थे। एनसीबी की टीम ने नोटिस भेजकर दोनों को पूछताछ के लिए बुलाया। पूछताछ में निज़ाम कारा ने कबूल किया कि तबस्सुम के साथ मिलकर उसने ही शरीक और उसकी पत्नी को कतर भेजा था। उन्हें तम्बाकू का बैग बताकर जो सामान दिया गया था, उसमें चरस रखी थी।
दोनों के बेकसूर होने के मिले साक्ष्य
निजाम एवं उसकी पत्नी के बयान से यह साफ हो गया कि कतर में पकड़े गए दंपत्ति बेकसूर हैं। उन्हें इस बात का पता ही नहीं था कि उनके बैग में ड्रग्स है। एनसीबी ने विदेश मंत्रालय के माध्यम से कतर में मौजूद भारतीय दूतावास को यह साक्ष्य भेजे। यह साक्ष्य भारत दूतावास द्वारा कतर की अदालत के समक्ष रखे गए, जहां यह माना गया कि यह पति-पत्नी निर्दोष हैं। उन्हें हनीमून पैकेज पर भेजकर फंसाया गया है। इस मामले में अदालत ने दंपत्ति को 10 साल की सजा और जुर्माना लगाया गया था। एनसीबी की तरफ से भेजे गये साक्ष्यों के आधार पर वहां अदालत ने उनकी अपील को मंजूर किया। ट्रायल कोर्ट ने पूरी सुनवाई करने के बाद उन्हें बीते 29 मार्च को बरी कर दिया। फिलहाल उन्हें भारत भेजने की प्रक्रिया चल रही है।