गृह मंत्रालय ने राज्य और जिले की सीमाओं को सील करने का दिया निर्देश

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प्रवासी मजदूरों और जरूरतमंदों के रहने-खाने का प्रबंध सुनिश्चित करें राज किराया मांगने या विद्यार्थियों से घर खाली कराने वालों पर कसेगा कानूनी शिकंजा



नई दिल्ली, 29 मार्च (हि.स.)। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य और जिलों की सीमाओं को सील करने का निर्देश देते हुए कहा है कि वह प्रवासी कामगारों-मजदूरों सहित गरीबों और जरूरतमंद लोगों के रहने और खाने की पर्याप्त व्यवस्था युद्धस्तर पर की जाए । इसके साथ ही मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिया है कि जिन लोगों ने लॉकडाउन का उल्लंघन कर इस अवधि के दौरान यात्रा की है, उन्‍हें सरकारी क्‍वारंटाइन केंद्रों (अस्पताल के अलग कमरे में) में न्यूनतम 14 दिन के लिए  रखा जाएगा। क्‍वारंटाइन के दौरान इन व्यक्तियों की निगरानी करने के लिए राज्यों को विस्तृत निर्देश जारी किए गए हैं।

कैबिनेट सचिव राजीव गौबा और गृह सचिव अजय भल्ला ने रविवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ स्थिति की समीक्षा की। इस दौरान केंद्रीय अधिकारियों ने पाया सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा दिशा-निर्देशों पर प्रभावकारी ढंग से अमल करने और आवश्यक आपूर्ति भी निरंतर सुनिश्चित किए जाने पर संतोष जताया  हैं।

राजधानी दिल्ली समेत देश के कुछ हिस्सों में कामगारों-मजदूरों की आवाजाही के मद्देनजर राज्यों को निर्देश दिया गया कि वह जिलों और राज्यों की सीमाओं को प्रभावकारी ढंग से सील करें। साथ ही राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया गया कि शहरों या राजमार्गों पर लोगों की आवाजाही नही होनी चाहिए। केवल माल की आवाजाही की ही अनुमति दी जानी चाहिए। शीर्ष अधिकारियों ने इन निर्देशों पर अमल के लिए जिलाधिकारियों (डीएम) और पुलिस अधीक्षकों (एसपी) की व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह तय करने को कहा है।

राज्यों को सलाह दी गई कि वह प्रवासी श्रमिकों सहित गरीबों और जरूरतमंद लोगों के भोजन एवं आश्रय की पर्याप्त व्यवस्था उनके कार्यस्‍थलों पर ही की जाए। केंद्र ने इस उद्देश्य के लिए राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) का इस्तेमाल करने के लिए गत शनिवार को ही आदेश जारी किए हैं । इस मद में राज्यों के पास पर्याप्त धनराशि उपलब्ध है।

राज्यों से यह भी कहा गया है कि वे लॉकडाउन की अवधि के दौरान बिना किसी कटौती के श्रमिकों के कार्यस्थल पर उनके पारिश्रमिक या वेतन का समय पर भुगतान सुनिश्चित करें। इस अवधि के लिए श्रमिकों से घर का किराया या हाउस रेंट देने की मांग नहीं की जानी चाहिए। उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जो मजदूरों या विद्यार्थियों को परिसर (कमरा या घर) खाली करने के लिए कह रहे हैं।

 


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