गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन के सुचारू रूप से कामकाज के लिए जारी किए नियम
नई दिल्ली, 28 अगस्त (हि.स.)। गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन के सुचारू रूप से कामकाज के लिए नियम जारी किए हैं। इसमें स्पष्ट किया गया है कि पुलिस, अखिल भारतीय सेवाएं और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो केंद्र शासित प्रदेश के उप राज्यपाल के सीधे नियंत्रण में रहेंगे।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत जो नियम अधिसूचित किए है उनमें नियमों में किसी मामले में उप राज्यपाल और मंत्री परिषद (जब इसका गठन हो) में विचारों में मतभेद होने की स्थिति में उप राज्यपाल इसे केंद्र सरकार के पास राष्ट्रपति के निर्णय के उद्देश्य से भेजे और इस निर्णय के अनुरूप काम होगा। गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में 39 विभाग होंगे जिसमें कृषि, स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, वानिकी, चुनाव, सामान्य प्रशासन, गृह, खनन, ऊर्जा, पीडब्ल्यूडी, परिवहन, आदिवासी मामला आदि शामिल हैं।
गौरतलब है कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को समाप्त कर दिया गया था और इसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया था। केंद्र शासित प्रदेश पिछले वर्ष 31 अक्तूबर को अस्तित्व में आए। अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 55 के तहत प्रदत्त शक्तियों, 31 अक्तूबर 2019 की अधिघोषणा के तहत जारी धारा 73 के अनुरूप राष्ट्रपति निम्नलिखित नियम बनाते हैं….।’’ इसमें कहा गया है कि लोक व्यवस्था, पुलिस, अखिल भारतीय सेवाएं और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से जुड़े मामलों में उप राज्यपाल कानून के तहत कार्यकारी कामकाज को देखेंगे। उप राज्यपाल, मुख्यमंत्री (जब निर्वाचित होंगे) की सलाह पर सरकार के कामकाज का आवंटन मंत्रियों के बीच करेंगे और मंत्रियों को एक या अधिक विभाग आवंटित करेंगे।
मंत्रिपरिषद उप राज्यपाल के नाम पर किसी विभाग की ओर से जारी सभी कार्यकारी आदेश और केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन के संबंध में राष्ट्रपति के नाम किसी अनुबंध के लिये सामूहिक रूप से जिम्मेवार होंगे, जबकि ऐसे आदेश या अनुबंध केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन के संबंध में किसी मंत्री द्वारा उसके अधीन विभाग से जुड़े मामलों में अधिकृत होंगे।
अधिसूचना में कहा गया है कि नियमित या गैर जरूरी प्रकृति के संवाद को छोड़कर प्रधानमंत्री एवं अन्य मंत्रालयों सहित केंद्र से प्राप्त सभी संवाद को जितनी जल्द हो सके, उन्हें सचिव द्वारा मुख्य सचिव, प्रभारी मंत्री, मुख्यमंत्री और उप राज्यपाल की जानकारी के लिए भेजा जाए। इसमें कहा गया है कि ऐसा कोई मामला, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश की सरकार के साथ केंद्र या एक राज्य सरकार के बीच विवाद होने की संभावना हो, उसे संबंधित सचिव द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से जितनी जल्द हो सके, उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया जाए। उप राज्यपाल और एक मंत्री के बीच किसी मामले में विचारों में मतभेद होने की स्थिति में उप राज्यपाल ऐसे असहमति उत्पन्न होने की तिथि से दो सप्ताह में मतभेद के बिन्दुओं को सुलझाने के लिए चर्चा करेंगे। मतभेद बने रहने पर उप राज्यपाल इसे परिषद को भेजेंगे और अगर 15 दिनों में कोई निर्णय नहीं होता है तब उप राज्यपाल इसे केंद्र सरकार के पास राष्ट्रपति के निर्णय के उद्देश्य से भेजे और इस निर्णय के अनुरूप काम होगा।