होली पर सुएं, सरियों, छुरे से बींधते हैं शरीर मेरठ के बिजौली गांव में

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मेरठ के बिजौली गांव में होली पर दिखाए जाते हैं अनोखे करतब



मेरठ, 25 मार्च (हि.स.)। भारतवर्ष में प्रत्येक त्योहार अलग-अलग प्रकार से मनाया जाता है। ऐसे ही होली के त्योहार पर देश के प्रत्येक हिस्से में अलग ही रंगत दिखाई देती है। मेरठ जनपद के बिजौली गांव में होली अनोखे तरीके से मनाई जाती है। होली के अगले दिन दुल्हैंडी पर शोभायात्रा (तख्त) निकाली जाती है। इसमें लोग अपने शरीर को सरिए, छुरी व सुए से बींधते हैं। इसके अलावा तलवारबाजी भी होती है।
 
मेरठ जनपद में नेशनल हाईवे 235 पर स्थित बिजौली गांव की स्थापना मराठा शासक विजय सिंह द्वारा की गई थी। यहां पर होली अनोखे तरीके से मनाई जाती है। होली के अगले दिन दुल्हैंडी पर बिजौली में युवाओं द्वारा शोभायात्रा निकाली जाती है। इस शोभायात्रा में युवक तरह-तरह के करतब दिखाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह परंपरा 500 साल से चली आ रही है। पहले गांव में एक शोभायात्रा निकाली जाती थी, लेकिन अब कई शोभायात्राएं भव्य तरीके से निकलती है।
सुएं, सरियों, छुरे से बींधते हैं शरीर
शोभायात्रा में शामिल युवा तलवारबाजी, लाठी चलाना, सीने पर पत्थर रखकर हथोड़े से तोड़ने जैसे करतब दिखाते हैं। इसके अलावा युवा भाले, सुएं, सरियों, छुरों से अपने शरीर को बींधते हैं। तलवार को शरीर के आर-पार कराया जाता है। आश्चर्य की बात है कि इन हथियारों को शरीर में बींधते समय खून भी नहीं निकलता है।
बबा गंगापुरी की वजह से निकलती है शोभायात्रा
बुजुर्ग ग्रामीण ब्रजपाल त्यागी का कहना है कि बिजौली गांव में सैकड़ों साल में बाबा गंगापुरी आए थे। उस समय गांव में अकाल पड़ने के कारण संक्रामक रोग फैले थे। बाबा गंगापुरी ने प्रभु से प्रार्थना की कि ग्रामीणों के बीमारी दूर करके उन्हें कष्ट दे दें। इससे ग्रामीणों की बीमारी दूर हो गई। इसके बाद बाबा ने गांव में ही समाधि ले ली। इसके बाद से ही गांव में तख्त निकाला जाता है।
प्रत्येक वर्ष भव्य होती जा रही शोभायात्रा
बिजौली गांव में प्रत्येक वर्ष शोभायात्रा का आयोजन भव्य होता जा रहा है। इसमें युवाओं की भूमिका अहम रहती है। अब प्रत्येक मोहल्ले की अलग शोभायात्रा निकाली जा रही है।

 


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