टोक्यो ओलंपिक खेलों में खुद को बेहतर साबित करने की चुनौती थी : हार्दिक सिंह
नई दिल्ली, 22 सितंबर (हि.स.)। भारत के युवा मिडफील्डर हार्दिक सिंह ने बुधवार को कहा कि टोक्यो ओलंपिक खेलों में उनके सामने खुद को बेहतर साबित करने की चुनौती थी और उन्हें खुशी है कि वह यह कर सके।
22 वर्षीय, हार्दिक ने अपने पहले ओलंपिक खेलों में दो महत्वपूर्ण गोल किए।
उन्होंने कहा, “2018 विश्व कप के बाद, यह (टोक्यो ओलंपिक) सीनियर टीम के साथ मेरा दूसरा बड़ा टूर्नामेंट था, और मैं विश्व कप में अपने प्रदर्शन से वास्तव में संतुष्ट नहीं था। इसलिए, मैं खुद को साबित करना चाहता था कि मैं बड़े चरणों में बेहतर कर सकता हूं। इसलिए, मेरे लिए, यह एक बड़ी चुनौती थी, और मुझे खुशी है कि मैं अच्छा कर सका, और टीम की सफलता में योगदान करने में सक्षम रहा।”
बता दें कि टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम ने जर्मनी को हराकर 41 साल बाद ओलंपिक में कोई पदक जीता।
उन्होंने कहा,” हम एक मजबूत टीम हैं और मुझे लगता है कि ओलंपिक में यही हमारी सबसे बड़ी ताकत थी। हम एक-दूसरे के कौशल में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सक्षम थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ निराशाजनक परिणाम (1-7 हार) के बाद, हम एक साथ बैठे और एक-दूसरे से खुलकर बात की कि क्या गलत हुआ और हमने क्या किया व आने वाले मैचों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए और क्या कुछ करने की जरूरत है। इससे वास्तव में हमें वापसी करने और देश के लिए पदक जीतने में काफी मदद मिली।”
उन्होंने आगे कहा कि टीम पेरिस 2024 ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने की कोशिश करेगी।
उन्होंने कहा,”हम पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने की कोशिश करेंगे।”
उन्होंने कहा,”हमें कदम दर कदम आगे बढ़ना होगा, और हमारा पहला कदम 2022 एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतकर ओलंपिक खेलों 2024 के लिए सीधे क्वालीफाई करना होगा। फिर 2023 में, हमारे पास एक और मार्की इवेंट है- हॉकी विश्व कप, जो ओडिशा में खेला जाएगा, इसलिए आगे चुनौतीपूर्ण और रोमांचक समय है, और हम इसके लिए तत्पर हैं।”