हो.वे. शेषाद्री का कार्यकाल रहा सबसे लंबा संघ के सरकार्यवाह के तौर पर

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गुरुजी का कार्यकाल एक वर्ष रहा



नागपुर, 20 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सरसंघचालक और सरकार्यवाह पद बेहद अहम होते है। सरसंघचालक संघ का चेहरा होते है। वहीं सरकार्यवाह नेतृत्व की कमान संभालते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना से लेकर अब तक बतौर सरकार्यवाह हो.वे. शेषाद्री का 13 वर्ष का कार्यकाल सबसे लंबा रहा है। वहीं पूर्व सरसंघचालक मा.स. गोलवलकर (श्री गुरुजी) महज एक साल ही सरकार्यवाह रहे है।

कर्नाटक में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में शनिवार को दत्तात्रेय होसबाले का सरकार्यवाह पद के लिए चयन किया गया। वह संघ के 16वें सरकार्यवाह हैं। वहीं लगातार 12 वर्षों तक इस पद पर आसीन रहे भैय्याजी जोशी अब दायित्व मुक्त हो गए है। संघ में सरकार्यवाह पद 3 वर्षो के लिए होता है। लेकिन इस पद पर आसीन कई व्यक्तियों को एक से अधिक बार सरकार्यवाह पद की जिम्मेवारी सौंपी गई है।

संघ में सरसंघचालक का चयन नहीं होता है। वर्तमान सरसंघचालक अपने स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए विचार-विमर्श कर अगले सरसंघचालक को चुनते हैं।  वहीं सरकार्यवाह पद के लिए चुनाव होता है और वह भी तीन साल के लिए ही होता है।

संघ के इतिहास में 1925 से लेकर अब तक हो.वे. शेषाद्री का कार्यकाल सबसे लंबा रहा है। 1987 में सरकार्यवाह बने शेषाद्री वर्ष 2000 तक इस पद पर कार्यरत रहे। उन्होंने बतौर सरकार्यवाह 13 वर्षों तक काम किया। वहीं द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर (श्री. गुरुजी) 13 अगस्त 1939 से 3 जुलाई 1940 तक एक वर्ष से भी कम कार्यकाल के लिए सरकार्यवाह रहे। इस तरह से श्री गुरुजी का कार्यकाल सबसे कम रहा। संघ के इतिहास में कुप्पाहाली सीतारमय्या सुदर्शन को छोड़कर सभी सरसंघचालक पहले सरकार्यवाह रहे हैं।

संघ के सरकार्यवाह की सूची 

गोपाल मुकुंद हुद्दार (बालाजी) (1929 से 1931)

डी.आर. लिमये ( 1931 से 1934)

एच.वी. कुलकर्णी ( 1934 से 1937)

जी.एस. पाध्ये ( 1937 से 1939)

मा.स. गोलवलकर (श्री गुरुजी) (13 अगस्त 1939 से 3 जुलाई 1940)

मल्हार नारायण काले (भैय्यासाहेब) (1940 से 1945)

प्रभाकर बलवंत दानी (भैय्याजी) ( 1945 से 1956)

एकनाथ रामकृष्ण रानडे ( 1956 से 1962)

प्रभाकर बलवंत दानी (भैय्याजी) ( 1962 से 1965)

मधुकर दत्तात्रय देवरस (बालासाहब) (1965 से 1973)

माधव कोंडोपंत मुले (1973 से 1977)

प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैय्या) (1977 से 1987)

हो.वे. शेषाद्री (1987 से 2000)

डॉ. मोहन मधुकर भागवत ( 2000 से 2009)

सुरेश जोशी (भैय्याजी) (2009 से 2021)

दत्तात्रय होसबाले (2021 से )

संघ में व्यक्ति केंद्रित नहीं है। 

संघ के कार्यकर्ता मानते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व्यक्ति केन्द्रित संगठन नहीं है। सभी निर्णय सामूहिक तौर पर सर्वसम्मति से लिए जाते हैं। संघ की स्थापना करने वाले डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने संघ की प्रारंभिक अवस्था में अपने साथियों को यह साफ कर दिया था कि संघ में व्यक्ती नही व्यवस्था अहम मानी जाएगी। डॉ. हेडगेवार कि इस इच्छा को संघ आज भी आदेश मानकर चलता है।

 

 


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