हिंदुत्व केवल धर्म नहीं एक वैज्ञानिक जीवन पद्धति है
रायपुर , 30 अगस्त हमारी सनातन संस्कृति मुनष्य मात्र को ही नही अखिल ब्रह्मांड को ईश्वर का विराट स्वरूप मानती है। इस विराट स्वरूप में ईश्वर सूक्ष्म रूप से प्रतिष्ठित है। श्रीमद्भगवदगीता के अनुसार सनातन का अर्थ है वो जो अग्नि, जल, अस्त्र-शस्त्र से नष्ट न किया जा सके। जो प्रत्येक जीव-निर्जीव में विद्यमान है। पुरे विश्व में केवल हमारी संस्कृति ही है, जो एक व्यक्ति को परिवार से परिवार को समाज से और समाज को विश्व से जोड़कर एक परिवार के रूप में देखती है। हिंदुत्व केवल धर्म नहीं एक वैज्ञानिक जीवन पद्धति हैl ये बातें आज बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय ने प्रातः सपरिवार प्रकृति पूजन करने के उपरांत कही l
उन्होंने आगे कहा कि हमारी संस्कृति की जड़ें इतनी परिष्कृत एवं व्यापक है कि हमारे प्रत्येक कार्य का वैज्ञानिक विश्लेषण स्वयं सिद्ध है।
हमारे यहाँ प्रमुख पर्वतों को देवताओं का निवास स्थान माना गया हैं l गाय, कुत्ता, चूहा, हाथी, शेर और यहां तक की विषधर नागराज को भी पूजनीय बताया है lपहली रोटी गाय के लिए और अंतिम रोटी कुत्ते के लिए निकाली जाती है l चींटियों को आटा डालते हैंl चिडिय़ों और कौओं के लिए घर की मुंडेर पर दाना-पानी रखा जाता है. देवों के देव महादेव तो बिल्व-पत्र और धतूरे से प्रसन्न होते हैं. वट पूर्णिमा और आंवला ग्यारस का पर्व मनाया जाता है l माँ सरस्वती को पीले पुष्प, धन-सम्पदा की देवी लक्ष्मी को कमल और गुलाब के पुष्प अतिप्रिय है l गणेश जी दूर्वा से प्रसन्न हो जाते हैं. प्रत्येक देवी-देवता भी पशु-पक्षी और पेड़-पौधों से लेकर प्रकृति के विभिन्न अवयवों के संरक्षण का संदेश देते हैं l भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन की पूजा का विधान इसलिए प्रारम्भ किया थी कि गोवर्धन पर्वत पर प्रकृति की अकूत संपदा थी l मथुरा के गोपालकों के गोधन के भोजन-पानी की व्यवस्था उसी पर्वत पर थी
विष्णु देव साय ने लोगों को आह्वान करते हुए कहा कि आइये हम अपनी परम्पराओं की और लौटते हुए प्रकृति वंदन की अपनी रीती-रिवाज
को कायम रखें l