हाईकोर्ट ने गंगा राम अस्पताल के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर रोक लगाई
नई दिल्ली, 22 जून (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने गंगा राम अस्पताल के खिलाफ दर्ज एफआईआर को लेकर जांच पर रोक लगा दी है। जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये एफआईआर पर जांच और कार्यवाही दोनों पर रोक लगाने का आदेश दिया। कोर्ट ने पिछली 16 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट ने 15 जून को एफआईआर को निरस्त करने की मांग पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। एफआईआर निरस्त करने के मामले पर अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी। सुनवाई के दौरान गंगाराम अस्पताल ने एफआईआर पर जांच रोकने की मांग की। अस्पताल की ओर से वकील रोहित अग्रवाल ने कहा कि एफआईआर भ्रमित करनेवाला है और इसमें इसका कहीं से ये खुलासा नहीं होता है कि अस्पताल ने भारतीय दंड संहिता की धारा 188 का उल्लंघन किया है। एफआईआर में ये कहीं नहीं बताया गया है कि अस्पताल ने कैसे आदेशों का पालन नहीं किया है। अस्पताल के खिलाफ कोरोना मामले में लापरवाही के आरोप में 3 जून को एफआईआर दर्ज की गई थी। दिल्ली सरकार ने महामारी रोग अधिनियम के उल्लंघन के आरोप में गंगाराम अस्पताल पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। अस्पताल के खिलाफ कोरोना को लेकर जारी किए गए दिशा-निर्देश का उल्लंघन करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
अस्पताल पर कोरोना के टेस्टिंग ऐप का इस्तेमाल नहीं करने का आरोप है। एफआईआर में कहा गया है कि अस्पतालों को स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन करना और केवल आरटी पीसीआर ऐप के जरिये सैंपल एकत्र करना अनिवार्य था। गंगा राम अस्पताल ने सैंपल एकत्र करने के लिए आरटी पीसीआर ऐप का उपयोग नहीं किया। अस्पताल पर आरोप है कि उसने अपनी क्षमता के मुताबिक लोगों को सुविधाएं नहीं दे रहा है। अस्पतल पर कोरोना मरीजों को भर्ती नहीं करने और बेडों की कालाबाजारी का आरोप है।