संपादकीय नियंत्रण सुनिश्चित करें न्यूज चैनलों के संपादक

0

टूलकिट केस में हाईकोर्ट ने कहा, पत्रकार को खबर का स्रोत बताने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता



नई दिल्ली, 19 फरवरी (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने टूलकिट मामले में गिरफ्तार दिशा रवि की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यूज चैनलों के संपादकों को निर्देश दिया कि वे संपादकीय नियंत्रण सुनिश्चित करें ताकि सूचना देते समय कोई जांच प्रभावित नहीं हो। जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने कहा कि निजता के अधिकार, देश की अखंडता एवं संप्रभुता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन कायम होना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि मीडिया संगठनों की ओर से हालिया कवरेज सनसनी पैदा करनेवाले हैं। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वे प्रेस कांफ्रेंस को लेकर केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करे। कोर्ट ने कहा कि एक पत्रकार को उसका स्रोत बताने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है लेकिन स्रोत प्रमाणित होना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस कह रही है कि उसने कुछ भी लीक नहीं किया जबकि चैनल इससे इनकार कर रहे हैं। कोर्ट ने मीडिया संगठनों के आनलाइन प्लेटफार्म पर डाली गई सामग्री को हटाने का आदेश देने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता दिशा रवि को निर्देश दिया कि वो दिल्ली पुलिस की छवि को बदनाम करने की कोशिश नहीं करें। जब कोर्ट ये आदेश लिखवा रहा था तो दिशा रवि के वकील अखिल सिब्बल ने कहा कि ऐसा कुछ भी रिकार्ड में नहीं है। तब कोर्ट ने कहा कि इसकी आशंका है। सुनवाई के दौरान दिशा रवि की ओर से पेश वकील अखिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि दिशा रवि के कथित व्हाट्सऐप चैट को दिल्ली पुलिस और मीडिया संगठन अपने आनलाइन प्लेटफार्म से हटाएं। उन्होंने कहा कि न्यूज़ चैनल रिपोर्टिंग करते समय प्रोग्राम कोड का पालन करें। दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया जाए कि वो चार्जशीट दाखिल करने के पहले मीडिया को केस से संबंधित कोई जानकारी नहीं दे।
कोर्ट ने पूछा कि एफआईआर किस दिन दर्ज की गई। तब सिब्बल ने कहा कि 4 फरवरी को एफआईआर दर्ज की गई जिसमें किसी शिकायतकर्ता का नाम नहीं है। तब कोर्ट ने कहा कि उस समय तक उन्हें मालूम नहीं होगा। सिब्बल ने कहा कि दिशा रवि को 14 फरवरी को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने दिशा रवि के परिवार को सूचना नहीं दी कि उसे कहां पेश किया जा रहा है। अखिल सिब्बल ने एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें ये बताया गया कि कोर्ट के अंदर क्या हुआ। उस चैनल ने दिखाया कि आरोपी कोर्ट में रोने लगी और कहा कि उसने केवल दो लाइन ही एडिट किया है। सिब्बल ने कहा कि उसी दिन पुलिस ने उस खबर के आधार पर ट्वीट किया और कहा कि दिशा रवि ने दो लाइनों से ज्यादा एडिट किया और उसे खालिस्तानी संगठनों को भेजा। उन्होंने कहा कि पुलिस ने अपने ट्वीट में कहा कि दिशा रवि ने अपने ट्वीट ग्रेटा थनबर्ग को भेजा।
सिब्बल ने कहा कि दिल्ली पुलिस मीडिया रिपोर्ट का जवाब दे रही थी जो एफआईआर का हिस्सा ही नहीं था। दिल्ली पुलिस ट्विटर के जरिये अपना केस बना रही थी। सिब्बल ने कहा कि उसके बाद दिल्ली पुलिस ने एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित किया जिसके बाद मीडिया में दिशा रवि के व्हाट्सऐप चैट की चर्चा होने लगी। मीडिया ने इस व्हाट्सऐप का स्रोत पुलिस को बताया। तब कोर्ट ने सिब्बल से पूछा कि आपके कहने का मतलब ये है कि पुलिस ने सारी चीजें लीक की। तब सिब्बल ने कहा कि इसका यही निष्कर्ष है। सिब्बल ने केंद्र सरकार के उस सर्कुलर की चर्चा की जिसमें मीडिया में जाने पर दिशा-निर्देश है। उसमें कहा गया है कि प्रेस कांफ्रेंस केस के रजिस्टर होने, आरोपी के गिरफ्तार होने और चार्जशीट दाखिल होने के समय ही की जानी चाहिए। दिशानिर्देश में कहा गया है कि प्रेस कांफ्रेंस में केवल घटना और जांच का जिक्र होना चाहिए।
सिब्बल ने सर्कुलर का जिक्र करते हुए कहा कि आरोपी की निजता, उसके मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। दिल्ली पुलिस की ओर से एएसजी एसवी राजू ने कहा कि इस मामले को 22 फरवरी तक के लिए टाल दिया जाना चाहिए। 22 फरवरी तक हम कोई प्रेस कांफ्रेंस नहीं करेंगे। कोर्ट ने राजू से पूछा कि मीडिया को जानकारी कैसे लीक हुई। तब राजू ने कहा कि मीडिया जो कह रही है वो वेदवाक्य नहीं हैं। वो अपने स्रोत को छिपाने के लिए पुलिस का नाम ले रहे हैं। कई लोग पूछताछ कर रहे हैं, किसी ने लीक कर दिया होगा। दस लोग पूछताछ कर सकते हैं, कोई चपरासी भी लीक कर सकता है। तब कोर्ट ने कहा कि आप कहना चाहते हैं कि आपने लीक नहीं किया और लीक करना भी नहीं चाहते हैं। तब राजू ने कहा कि दिल्ली पुलिस कोई वैसा काम नहीं करेगी जो गैरकानूनी हो। लीक करना गैरकानूनी है। राजू ने कहा कि कई बयान ऐसे आए हैं जो पुलिस की छवि को खराब कर रहे हैं। अगर हम उनका जवाब देते हैं तो वो दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं होगा। लीक करने पर रोक दोनों पक्षों पर लागू होता है।
एनबीएसए की ओर से निशा भांभानी ने कहा जिन तीन न्यूज चैनलों को प्रतिवादी बनाया गया है वे एनबीए के सदस्य हैं। एनबीएस को कोई शिकायत नहीं मिली है। अगर उन्हें शिकायत मिलेगी तो वे कार्रवाई करते। केंद्र सरकार की ओर से एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि किसी निजी चैनल में व्हाट्सऐप चैट के लीक होने की कोई भी शिकायत उन्हें नहीं मिली है। एक न्यूज चैनल ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की। दूसरे न्यूज चैनल ने कहा कि उसने प्रोग्राम कोड का उल्लंघन नहीं किया है। पिछले 18 फरवरी को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस, एनबीएसए और कुछ न्यूज चैनलों को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान दिशा रवि की ओर से वकील अखिल सिब्बल ने कहा था कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ टीआरपी के लिए मीडिया नागरिकों के अधिकार का हनन कर रही है। इस पर दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने मीडिया को कुछ भी लीक नहीं किया है। तब कोर्ट ने कहा कि हम नोटिस जारी कर रहे हैं। तब मेहता ने कहा कि हमारी तरफ से कोई सामग्री लीक नहीं हुई है, हम इस पर हलफनामा दायर कर सकते हैं। तब अखिल सिब्बल ने कहा था कि वे चाहें तो कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन तथ्य कुछ और कह रहे हैं। दिशा रवि 13 को गिरफ्तार हुई और पुलिस ने सामग्री जब्त की।
सिब्बल ने कहा था कि मीडिया खुद कह रहा है कि उसे पुलिस से रिकार्ड मिले हैं। आखिर उन्हें ये दस्तावेज कैसे मिल सकते हैं। तब मेहता ने कहा था कि मीडिया को कुछ भी शेयर नहीं किया गया है। यह याचिका मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए दायर किया गया है। तब सिब्बल ने कहा था कि 22 साल की युवती गिरफ्तार की गई है वो मीडिया को क्यों आकर्षित करना चाहेगी। तब कोर्ट ने कहा था कि हम इस पर विचार करेंगे। उसके बाद हाईकोर्ट ने मेहता का बयान रिकार्ड करते हुए उन्हें हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।

 


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *