जेएनयू के मामले पर कानून के मुताबिक फैसला करे दिल्ली सरकार : हाईकोर्ट

0

दिल्ली सरकार की ढिलाई की वजह से चार्जशीट पर संज्ञान नहीं ले रही है ट्रायल कोर्ट



नई दिल्ली, 04 दिसम्बर (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने के मामले में जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए अनुमति देने के मामले पर दिल्ली सरकार को निर्देश जारी करने के लिए दायर याचिका को निस्तारित कर दिया है। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि जेएनयू के मामले पर कानून के मुताबिक फैसला करें।
याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार ने इस मामले पर अभी तक कोई फैसला नहीं किया है जिसकी वजह से ट्रायल कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान नहीं ले रही है।
पिछले 25 अक्टूबर को दिल्ली सरकार के वकील ने पटियाला हाउस कोर्ट को बताया था कि यह मामला अभी लंबित है। उसके बाद कोर्ट ने इस मामले के जांच अधिकारी को तलब किया। पिछले 18 सितम्बर को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वो अभियोजन चलाने के लिए स्वीकृति देने पर एक महीने में फैसला करे। पिछले 23 जुलाई को इस मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी ने कोर्ट को बताया था कि चार्जशीट पर अनुमति देने के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। तब कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के डीसीपी से मामले की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
पिछले 6 फरवरी को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि अभी चार्जशीट के लिए जरूरी मंजूरी दिल्ली सरकार से नहीं मिली है। कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट दायर करने से पहले अनुमति ले लेनी चाहिए थी। अब दिल्ली सरकार से कहिए वो जल्द मंजूरी दे। अनिश्चित समय तक ऐसे फाइल को लटकाया नहीं जा सकता। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा था कि बिना सरकार की अनुमति के कैसे चार्जशीट दाखिल कर दी गई।
पिछले 14 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल किया था। करीब 12 सौ पेज की चार्जशीट में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्वाण भट्टाचार्य को आरोपित बनाया गया है। चार्जशीट में सात अन्य कश्मीरी छात्रों के भी नाम शामिल हैं। चार्जशीट में देशद्रोह, धोखाधड़ी, इलेक्ट्रॉनिक धोखाधड़ी, गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होना, दंगा भड़काने और आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *