कानपुर, 07 मार्च (हि.स.)। जिंदगी में बढ़ती निजी जरुरतों ने कई महिलाओं के अंदर कुछ अलग करने की चाह जगाई। बदले माहौल में बाजार के मिजाज से उत्साह बढ़ने के साथ सोच परवान चढ़ी। इससे हर्बल चाय का काम स्वरोजगार का आधार बन गया। नतीजा, कानपुर और आस-पास के जिलों के साथ प्रदेश की सीमा से सटे मध्य प्रदेश तक कारोबार फैलने से पतारा के हैप्पी लाइफ स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं का जीवन भी ‘हैप्पी’ हो गया है। गर्म चाय की चुस्कियां लोगों को इतनी भा रही हैं कि उनके परिवारों की गरीबी ‘ठंडी’ पड़ गई है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (आठ मार्च) के उपलक्ष्य में आयोजित मिशन शक्ति के “अनंता” कार्यक्रम में सोमवार को दीपिका सहित कुल 45 महिलाओं को सम्मानित किया जायेगा। समूह की सचिव दीपिका श्रीवास्तव बताती हैं कि मैने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद परिवार की कई समस्यायों को देखा और बेजोरगारी का दंश भी झेला। इतनी पढ़ी-लिखी होने के बाद भी समाज में खुद की पहचान नहीं मिल पा रही थी। घर की माली हालत भी दयनीय होती जा रही थी। जीवन में हर ओर अन्धकार ही दिखायी दे रहा था। पढ़ी-लिखी होने के नाते परिवार की अपेक्षाएं भी मुझसे ही थीं। ऐसे में जीवन मे एक नई रोशनी लेकर उत्तर प्रेदश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन आया, जिसमें पड़ोस की बहनों के साथ मिलकर पांच जनवरी 2018 को हैप्पी लाइफ स्वयं सहायता समूह का गठन किया।
समूह से जुड़ते ही एक नई उर्जा एवं पहचान बनाने का अवसर प्रदान हुआ। मेरे दिमाग में खुद का व्यवसाय करने की चेतना जागी, जिसमें मैने अपने दादा की बताई हुई एवं उपयोग की हुई आर्योवेदिक जड़ी बूटी निर्मित हर्बल चाय के उत्पाद को व्यवसाय के रुप मे सृजित करके आगे बढ़ाते हुये पहले अपने स्थानीय ग्राम पंचायत में अपने समूहों की बहनों को इस्तेमाल कराई।
वर्तमान में हमारे उत्पाद को मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के कई जिलों में उपयोग किया जा रहा है, जिनमें भिण्ड ग्वालियर, जालौन, औरैया, फतेहपुर, हमीरपुर, कानपुर देहात, कानपुर नगर आदि में भरपूर मांग की जा रही है।
ऐसे बनती हर्बल चाय
दीपिका के मुताबिक, अर्जुन की छाल, गुलाब के फूलों की पंखुड़ी, अश्वगंधा समेत दूसरी जड़ी-बूटियां मिलाकर हर्बल चाय तैयार होती है। इसमें मिलीं जड़ी-बूटियां गठिया समेत दूसरी बीमारियों में लाभकारी है। इसीलिए लोग चाय को खूब पसंद कर रहे हैं। इन उत्पादों का भी निर्माण व बिक्री समूह चाय के साथ फेस पैक, कब्ज दूर करने के लिए स्टमक प्रॉब्लम छू चूर्ण, एनर्जी ग्रोथ पाउडर, हार्ट एवं डायबिटीज केयर पाउडर बनाकर बेच रहा है।
कोरोना काल में बढ़ी मांग
दीपिका बताती हैं, कोरोना काल में हर्बल चाय की मांग में इजाफा हुआ है, जिसे वह पूरा नहीं कर पा रही हैं। पिछले साल उन्हें राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत 15 हजार रुपये की मदद मिली थी। अब अफसरों ने एक लाख रुपये मदद का भरोसा दिया है। इससे बेहतरी आएगी। आयोर्वेदिक हर्वल चाय के व्यवसाय से समूह की सभी महिलायें अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है और अपने परिवार की आजीविका सुनिश्चित कर रही है। समूह की प्रत्येक महिला की प्रत्येक माह मे 3000 से 4000 रुपये की आमदनी होने लगी है।