रांची, 29 दिसम्बर (हि.स.)। महागठबंधन विधायक दल के नेता व झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने राज्य के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में रविवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे हेमंत सोरेन के साथ तीन मंत्री कांग्रेस के आलमगीर आलम, रामेश्वर उरांव और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सत्यानंद भोक्ता ने भी मंत्री पद की शपथ ली।
शपथ ग्रहण समारोह को लेकर लोगों का उत्साह चरम पर था। मोरहाबादी स्थित कार्यक्रम स्थल पर लोगों की भारी भीड़ जुटी। समारोह में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समारोह में मौजूद थे। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, बाबूलाल मरांडी, असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, शरद यादव, माकपा नेता सीताराम येचुरी, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, तमिलनाडु से राज्यसभा सांसद कनिमोझी, भाकपा महासचिव डी राजा, डीएमके से एमके स्टालिन, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह, आरपीएन सिंह, तेजस्वी यादव, शिवानंद तिवारी भी कार्यक्रम में मौजूद थे।
लोगों के सपनों को पूरा करेगी नई सरकारः हेमंत
शपथ ग्रहण से ठीक पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज का दिन राज्य के नव निर्माण का संकल्प दिवस है। झारखंड के नवनिर्माण का आगाज हो गया है। उन्होंने कहा कि लोगों की आकांक्षाओं और सपनों को पूरा करने की दिशा में नयी सरकार सदैव कार्य करेगी।
हेमंत सोरेन का परिवार भी समारोह में पहुंचा। मंच पर हेमंत के पिता व झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और मां रूपी सोरेन मौजूद रहे। उनकी पत्नी कल्पना सोरेन समेत परिवार के बाकी सदस्य भी समारोह में उपस्थित थे।
हेमंत सोरेन दूसरी बार बने मुख्यमंत्री
हेमंत सोरेन ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। इससे पहले हेमंत ने जुलाई 2013 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। झामुमो-राजद-कांग्रेस के साथ मिलकर उन्होंने 1 साल 5 महीने 15 दिनों तक सरकार चलाई थी। हेमंत के पिता शिबु सोरेन भी 3 बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। तीनों कार्यकाल में वह सिर्फ 10 महीने 5 दिन ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे, जो हेमंत के एक कार्यकाल से काफी कम है।