वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट में स्वास्थ्य का बजट दोगुना कर सकती हैं। इसे 1.2-1.3 लाख करोड़ रुपये किया जा सकता है। हालांकि मौजूदा वित्त वर्ष में स्वास्थ्य बजट 626 बिलियन रुपये (67,484 करोड़) रुपये का है। इसके साथ ही वित्त मंत्री बजट में कुछ नई स्वास्थ्य सेवाओं का भी ऐलान कर सकती हैं।
सूत्रों का कहना है कि भारत के हेल्थकेयर खर्च को जीडीपी के 4% तक ले जाने के उद्देश्य से वित्त मंत्री चार साल के स्वास्थ्य बजट की योजना पेश कर सकती हैं। सरकार नए प्रोग्राम की फंडिंग के लिए हेल्थकेयर सेस को भी बढ़ा सकती है। वर्तमान में यह सेस इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स का 1 फीसदी है। हर साल सरकार को हेल्थ सेस से लगभग 150-160 अरब रुपये प्राप्त होते हैं।
दशकों से उच्च विकास दर के बावजूद भारत में स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकारी खर्च जीडीपी का 1.3% ही है, जो विकसित और ब्रिक्स देशों (ब्राजील-रूस-इंडिया-चीन-साउथ अफ्रीका) की तुलना में काफी कम है। अब कोरोना महामारी जैसी आपदा को देखते हुए स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेजी से काम करने पर विचार किया जा रहा है, जिसके लिए इस पर खर्च बढ़ाने की आवश्यकता है। इसीलिए अगले चार सालों में इसे जीडीपी का 4% करने का लक्ष्य रखा गया है।
उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर चीन में जीडीपी का 3.2%, अमेरिका में 8.5% और जर्मनी में 9.4% खर्च हेल्थ पर होता है।