ओपन बुक एग्जाम की आधी-अधूरी तैयारी पर डीयू को हाई कोर्ट की फटकार
नई दिल्ली, 30 जुलाई (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने ओपन बुक एग्जामिनेशन की आधी-अधूरी तैयारी के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी को फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को मॉक टेस्ट का पूरा डाटा दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि वे दृष्टिबाधित दिव्यांगों को शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराने और उनके लिए परीक्षा में लेखक उपलब्ध कराने पर अपना रुख स्पष्ट करें। मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त को होगी।
सुनवाई के दौरान दिल्ली यूनिवर्सिटी ने हाई कोर्ट को बताया कि यूजीसी ने फाइनल ईयर की परीक्षा लेना अनिवार्य किया है, इसलिए इसे लेकर कोई कानूनी अड़चन नहीं है। आज जैसे ही सुनवाई शुरू हुई, जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूछा कि आपने पौने दस बजे हलफनामा क्यों दाखिल किया है। हमें इसे पढ़ने का भी समय नहीं मिला। याचिकाकर्ता को भी समय नहीं मिला होगा। कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि जितने छात्रों ने मॉक टेस्ट में भाग लिया था, उनकी संख्या मॉक टेस्ट में रजिस्टर्ड छात्रों की संख्या से आधी से भी कम थी।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के डीन ऑफ एग्जामिनेशन प्रोफेसर विनय गुप्ता ने कहा कि एक लाख 82 हजार छात्रों में से 74,180 छात्रों ने मॉक टेस्ट के पहले चरण में हिस्सा लिया। कोर्ट ने पूछा कि इस मॉक टेस्ट का क्या मतलब है जब आधे से ज्यादा छात्रों ने हिस्सा नहीं लिया। कोर्ट ने पूछा कि तकनीकी समस्याओं की कितनी शिकायतें मिली, कितने छात्रों ने उत्तर अपलोड किया, हलफनामे में इसका कोई जिक्र नहीं है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा कि 28 जुलाई तक तकनीकी समस्या की 35 शिकायतें मिलीं। मॉक टेस्ट छात्रों को प्लेटफॉर्म समझाने के लिए था। आज भी छात्र डाउनलोड और अपलोड कर सकते हैं। कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि 39 हजार छात्रों ने उत्तर देने की कोशिश की, जबकि 22 हजार छात्रों ने उत्तर अपलोड किया।
कोर्ट ने दृष्टिबाधित छात्रों के प्रश्नपत्र को लेकर सवाल पूछा। दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा कि कॉमन सर्विस सेंटर को निर्देश दिया गया है कि वे दृष्टिबाधित छात्रों के लिए लिखनेवाले का इंतजाम करें। कोर्ट ने कहा कि कॉमन सर्विस सेंटर तो ये भी नहीं जानता है कि कितने छात्र उसकी सुविधा का इस्तेमाल करेंगे, शायद दिल्ली यूनिवर्सिटी भी नहीं जानती होगी। कोर्ट ने कहा कि ये दिल्ली यूनिवर्सिटी की जिम्मेदारी है कि वो दृष्टिबाधित छात्रों के लिए लेखक का इंतजाम करे अन्यथा ओपन बुक एग्जामिनेशन मजाक बनकर रह जाएगा।