डीयू कॉलेजों के प्रोफेसरों की वेतन संबंधी याचिका दूसरी बेंच को ट्रांसफर
नई दिल्ली, 24 सितम्बर (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के विभिन्न कॉलेजों के प्रोफेसरों को मई महीने से बकाया सैलरी देने का दिशा-निर्देश जारी करने वाली याचिका को दूसरी बेंच को ट्रांसफर कर दी है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने इस याचिका को जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच के पास सुनवाई के लिए रेफर कर दिया। मामले की अगली सुनवाई 29 सितम्बर को होगी।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान कॉलेज के प्रोफेसरों की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार डेढ़ हजार परिवारों को दंड दे रही है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के करीब डेढ़ हजार प्रोफेसरों को पिछले चार महीने से सैलरी नहीं दी जा रही है। अब तो सितम्बर महीना भी जल्द ही खत्म होनेवाला है। पिछले 21 सितम्बर को सुनवाई के दौरान जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने कहा था कि ये मामला जनहित याचिका की तरह है इसलिए इस पर चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच विचार करेगी।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 औऱ दिल्ली सरकार के कॉलेजों के डेढ़ हजार से ज्यादा शिक्षकों और गैर-शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को इन आठ प्रोफेसरों की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने याचिका दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि पिछले मई महीने से दिल्ली यूनिवर्सिटी और और दिल्ली सरकार के कॉलेजों के प्रोफेसरों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं देना संविधान की धारा 14, 21 और दिल्ली यूनिवर्सिटी एक्ट का उल्लंघन है। याचिका में मांग की गई है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को समय पर सैलरी देने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया जाए।
याचिका में कहा गया है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं देना जीने के संविधान के अधिकार का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार की ओर से सौ फीसदी वित्तपोषित कॉलेजों और दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों के शिक्षकों और गैर-शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को पिछले मई महीने से वेतन नहीं दिया गया है। इन शिक्षकों की ओर से दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (डूटा) ने दिल्ली सरकार से वेतन के मद में फंड जारी करने के लिए पत्र लिखा था लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उसके बाद इन प्रोफेसरों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।