हाई कोर्ट ने नर्सों की मौत के मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार को किया तलब
नई दिल्ली, 06 जुलाई (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली में अस्पतालों में नर्सों और हेल्थकेयर वर्कर्स को पीपीई किट उपलब्ध नहीं होने की वजह से नर्सों की मौत के मामले पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार के संबंधित अधिकारियों को तलब किया है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इन अधिकारियों को आज ही तलब किया है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आज केंद्र सरकार के वकील की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के बारे में सीमित जानकारी पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने पूछा था कि क्या कोरोना ड्यूटी के दौरान हेल्थकेयर वर्कर्स और दूसरे हेल्थकेयर वर्कर्स को इस योजना में शामिल किया गया है। लेकिन इस सवाल का कोई उत्तर नहीं दे सके। उसके बाद कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारियों को आज ही पेश होने का आदेश दिया।
पिछली 03 जुलाई को कोर्ट ने नर्सों की सुरक्षा के लिए उपाय बताने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील मनोज वी जॉर्ज ने कहा कि हेल्थ वर्कर्स को भी उतना ही रिस्क उठाना पड़ रहा है जितना डॉक्टरों को। ऐसे में उन्हें भी उतनी ही सुरक्षा की जरूरत है। उन्हें भी पीपीई समेत दूसरे सुरक्षा किट उपलब्ध कराये जाने की जरूरत है। उसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता से नर्सों और हेल्थकेयर वर्कर्स की सुरक्षा के लिए उपाय सुझाने का निर्देश दिया।
पिछली 18 जून को कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली नर्सिंग काउंसिल को नोटिस जारी किया था। हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया था कि इस मामले में एक इंस्पेक्शन कमेटी बनाकर जांच करें और रिपोर्ट दाखिल करें। याचिका डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव ने दायर किया है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील मनोज वी जॉर्ज ने कोर्ट से कहा है कि पिछले 24 घंटे में ही कोरोना मरीजों के इलाज के दौरान खुद संक्रमित होकर एक नर्स की मौत हो चुकी है। ऐसे कई और मामले भी मार्च से अब तक सामने आ चुके हैं।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के निजी नर्सिंग होम में खुद केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई गाइड लाइंस का पालन नहीं किया जा रहा है। नर्सों को इस्तेमाल की गई पीपीई किट पहनने के लिए दी जा रही है। यचिका में कहा गया है कि कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के दौरान नर्सों को स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देश के मुताबिक मास्क, दस्ताने और अन्य जरूरी उपकरणों की सप्लाई भी नहीं की जा रही है।
याचिका में कहा गया है कि यह स्वास्थ्यकर्मियों के मानवाधिकारों का हनन है। कोरोना से संक्रमित मरीजों के इलाज में जुटे डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स के बीच में भेदभाव नहीं किया जा सकता है। याचिका में कहा गया है कि नर्स भी फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर हैं, लिहाजा उन्हें भी सुरक्षा किट उपलब्ध कराने की जरूरत है। लेकिन ज्यादातर निजी नर्सिंग होम में इसका पालन नहीं हो रहा है।
याचिका में मांग की गई है कि सभी प्राइवेट नर्सिंग होम और अस्पतालों से कोर्ट डाटा मंगाए कि कोरोना से उनके यहां कितने नर्सिंग स्टाफ संक्रमित हुए हैं। इससे यह साफ हो जाएगा कि उनके संक्रमित होने के पीछे अस्पतालों में उनकी सुरक्षा को लेकर की गई व्यवस्थाएं कितनी पुख्ता थीं। याचिका में मांग की गई है कि सभी निजी अस्पतालों के यहां काम करने वाली नर्सों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण इंश्योरेंस के अंदर रखा जाए।