झारखंड कोयला घोटाला के तीन आरोपितों की सजा पर रोक
नई दिल्ली, 25 नवम्बर (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने झारखंड में कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में ट्रायल कोर्ट की ओर से दोषी करार दिए गए तीन आरोपितों की सजा पर रोक लगा दी है। इन आरोपितों को ट्रायल कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप राय के साथ सजा सुनाई थी। जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के बाद तीनों की सजा पर रोक लगाने का आदेश दिया।
कोर्ट ने जिन तीन आरोपितों की सजा पर रोक लगाई है, उनमें महेंद्र कुमार अग्रवाल, प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले के आरोपित दिलीप राय की सजा पर हाईकोर्ट 27 अक्टूबर को रोक लगा चुका है। इसलिए समानता के आधार पर इन तीनों आरोपितों की सजा पर भी रोक लगाई जाती है। तीनों आरोपितों ने सजा के निलंबन के लिए याचिका दायर की थी।
दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने पिछले 26 अक्टूबर को दिलीप राय समेत चार आरोपितों को तीन-तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी। राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिलीप राय के अलावा कोयला मंत्रालय के तत्कालीन अधिकारियों प्रदीप कुमार बनर्जी, नित्यानंद गौतम और कैस्ट्रॉन टेक्नोलॉजीस के डायरेक्टर महेन्द्र कुमार अग्रवाल को तीन-तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने दिलीप राय पर दस लाख रुपये, प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम पर दो-दो लाख रुपये और महेन्द्र अग्रवाल पर साठ लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने दोषी कंपनी कैस्ट्रॉन टेक्नोलॉजीस पर 60 लाख रुपये और और कैस्ट्रॉन माइनिंग लिमिटेड पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
कोर्ट ने पिछले 6 अक्टूबर को 1999 में कोयला ब्लॉक के आवंटन घोटाला मामले में दोषी करार दिया था। यह मामला झारखंड के गिरिडीह में ब्रह्मडीहा में 105 हेक्टेयर से ज्यादा के कोयला ब्लॉक के आवंटन से जुड़ा हुआ है। ये कोयला ब्लॉक कैस्ट्रॉन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड नामक कंपनी को आवंटित की गई थी। दिलीप राय अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कोयला राज्यमंत्री थे।