प्रोफेसरों को वेतन देने की मांग पर दिल्ली सरकार, डीयू एवं चार कॉलेजों को नोटिस
नई दिल्ली, 29 सितम्बर (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को विभिन्न कॉलेजों के प्रोफेसरों को मई महीने से बकाया सैलरी देने की मांग पर सुनवाई करते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू), दिल्ली सरकार और चार कॉलेजों को नोटिस जारी किया है। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने चार कॉलेजों को दो हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी।
कोर्ट ने चार कॉलेजों का स्टेटस रिपोर्ट दाखिल होने के बाद दिल्ली सरकार को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। प्रोफेसरों की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार दो हजार परिवारों को बिना किसी गलती के दंडित कर रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को इन प्रोफेसरों की सैलरी के लिए कॉलेजों को तुरंत ग्रांट रिलीज करनी चाहिए।
4 महीने से डेढ़ हजार प्रोफेसरों को सैलरी नहीं मिल रही
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 औऱ दिल्ली सरकार के कॉलेजों के डेढ़ हजार से ज्यादा शिक्षकों और गैर-शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को इन आठ प्रोफेसरों की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि पिछले मई महीने से दिल्ली यूनिवर्सिटी और और दिल्ली सरकार के कॉलेजों के प्रोफेसरों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं देना संविधान की धारा 14, 21 और दिल्ली यूनिवर्सिटी एक्ट का उल्लंघन है। याचिका में मांग की गई है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को समय पर सैलरी देने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया जाए।
याचिका में कहा गया है कि शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं देना जीने के संविधान के अधिकार का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार की ओर से सौ फीसदी वित्तपोषित कॉलेजों और दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों के शिक्षकों और गैर-शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को पिछले मई महीने से वेतन नहीं दिया गया है। इन शिक्षकों की ओर से दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (डूटा) ने दिल्ली सरकार से वेतन के मद में फंड जारी करने के लिए पत्र लिखा था लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उसके बाद इन प्रोफेसरों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।