दिल्ली यूनिवर्सिटी में फाइनल ईयर ऑनलाइन परीक्षा की क्या है तैयारी, हाई कोर्ट ने पूछा

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नई दिल्ली, 24 जुलाई (हि.स.)। ओपन बुक एग्जाम के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कॉमन सर्विस सेंटर एकेडमी को नोटिस जारी कर पूछा है कि उसने दिल्ली यूनिवर्सिटी में फाइनल ईयर ऑनलाइन परीक्षा की क्या तैयारी की है। जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने 27 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
हाई कोर्ट ने कॉमन सर्विस सेंटर एकेडमी को निर्देश दिया कि वो देश भर के कॉमन सर्विस सेंटर एकेडमी की स्थिति पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। आज सुनवाई के दौरान दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा कि उसने ग्रामीण इलाकों के उन छात्रों की मदद के लिए कॉमन सर्विस सेंटर एकेडमी को हायर किया है जिनके पास पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। कॉमन सर्विस सेंटर एकेडमी और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी मंत्रालय के बीच करार हुआ है जिसके तहत वो उन छात्रों को डिजिटल सुविधाएं मुहैया कराएगी जिनके पास ये सुविधाएं नहीं हैं।
आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि जिन छात्रों ने मॉक टेस्ट में हिस्सा लेनेवाले छात्रों को समस्याएं आईं। दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कोर्ट के पहले के आदेश का पालन नहीं किया। कोर्ट के पहले के आदेश के मुताबिक दिल्ली यूनिवर्सिटी को सभी छात्रों को प्रश्न-पत्र ई-मेल करना था। इसके अलावा उन्हें तकनीकी समस्याओं के लिए तीस मिनट का अतिरिक्त समय देना था। तब दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा कि पहला मॉक टेस्ट केवल अपलोडिंग और डाउनलोडिंग की प्रक्रिया से छात्रों को परिचित कराना था। उन्होंने कहा कि छात्रों को प्रश्न-पत्र ई-मेल किया जाएगा और उन्हें तकनीकी समस्याओं के लिए तीस मिनट का अतिरिक्त समय मिलेगा।
पिछली 22 जुलाई को कोर्ट ने यूजीसी से पूछा था कि क्या फाइनल ईयर के छात्रों के लिए आयोजित होनेवाली आनलाइन परीक्षा में बहुविकल्पी प्रश्नों का विकल्प संभव है। सुनवाई के दौरान यूजीसी ने कहा था कि पूर्व के प्रदर्शन के आधार पर किसी को डिग्री नहीं दी जा सकती है।
यूजीसी ने कहा था कि आनलाइन परीक्षा का मतलब समयबद्ध परीक्षा है। जब लोग असाइनमेंट घर ले जाते हैं तो उसकी पवित्रता बरकरार नहीं रखी जाती है। कोर्ट ने यूजीसी से पूछा था कि क्या कॉलेज असाइनमेंट का मूल्यांकन खुद करते हैं और छात्रों को आनलाइन असाइनमेंट देते हैं। कोर्ट ने कहा था कि जो लोग नकल करेंगे वे कड़े माहौल में भी करेंगे। उसमें समय की कोई भूमिका नहीं है। तीन घंटे से कुछ नहीं होगा। ओपन बुक एग्जाम में कई समस्याएं हैं।
यूजीसी ने कहा था कि उसके दिशा-निर्देश पूरे देश के लिए हैं। तब कोर्ट ने पूछा कि क्या आप छात्रों को दिल्ली बुला सकते हैं। तब कोर्ट ने कहा था कि वे दूसरे मोड में भी परीक्षा दे सकते हैं। इसमें केवल ऑफलाइन परीक्षा ही नहीं हो रही है। तब कोर्ट ने कहा था कि आप स्थिति को देखिए। आईसीएमआर कह रहा है कि कोरोना का संक्रमण नवंबर में पीक पर रहेगा। ऐसे में आप उनसे सितंबर में ऑफलाइन परीक्षा की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि कई कॉलेजों ने बहुविकल्पी प्रश्नों के अलावा कई क्रिएटिव मोड अपनाया है। पारंपरिक परीक्षाएं काफी समय ले रही हैं। ओपन बुक एग्जाम में काफी समस्याएं हैं। तब यूजीसी ने कहा था कि परीक्षा के टाइमलाइन को लेकर डिवीजन बेंच सुनवाई कर रही है। एक शेड्यूल भी तैयार किया गया है। बहुविकल्पी प्रश्नों पर आधारित परीक्षा भी आयोजित की जा सकती है। दुनिया भर में बहुविकल्पी प्रश्नों पर आधारित परीक्षाएं आयोजित की गई हैं। तब कोर्ट ने यूजीसी से पूछा था कि आप क्यों कह रहे हैं कि परीक्षा आनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में होगी। अब आप कह रहे हैं कि ये समयबद्ध होना चाहिए। अगर दिल्ली यूनिवर्सिटी चाहे कि बहुविकल्पी प्रश्नों के आधार पर परीक्षा होगी तो क्या होगा। तब यूजीसी ने कहा था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के ऊपर है कि वो बहुविकल्पी प्रश्नों के आधार पर परीक्षा आयोजित करेगा या नहीं, हम उसका उत्तर कैसे दे सकते हैं। हमने दिल्ली यूनिवर्सिटी को परीक्षा में देरी के लिए कभी निर्देश नहीं दिया।
कोर्ट ने कहा कि समयबद्ध परीक्षा पूरे तरीके से अव्यवहारिक है। हम दिल्ली के बीचो बीच रहते हैं क्या होगा जब बारिश होगी और न बिजली होगी और न इंटरनेट। दूसरे युनवर्सिटी कैसे कर रहे हैं। दो सौ यूनिवर्सिटी ने करीब-करीब परीक्षा खत्म कर ली है। तब दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा कि हमेशा इंटरनेट की जरुरत नहीं होती है। आपको केवल डाउनलोड और अपलोड करने के लिए इंटरनेट की जरूरत होगी।

 


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