नई दिल्ली, 23 जुलाई (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने मनी लाउंड्रिंग मामले में जेल में बंद फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर और रैनबैक्सी कंपनी के पूर्व प्रमोटर शिवेंद्र सिंह को जमानत दे दी है। जस्टिस अनूप जयराम भांभानी ने शिवेंद्र सिंह को एक करोड़ रुपये निजी मुचलके और 25-25 लाख के दो जमानतियों पर रिहा करने का आदेश दिया।
हाई कोर्ट ने शिवेंद्र सिंह को अपना पासपोर्ट सरेंडर करने का आदेश देते हुए कहा कि वे बिना कोर्ट की अनुमति के देश नहीं छोड़ेंगे। कोर्ट ने शिवेंद्र सिंह को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करने और गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करने का आदेश दिया। हाई कोर्ट ने पिछले 16 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में जमानत मिलने के बावजूद शिवेंद्र सिंह जेल से रिहा नहीं हो सकता है क्योंकि वो आर्थिक अपराध शाखा की ओर से एक और मामला दर्ज है।
शिवेंद्र सिंह की ओर से वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने कहा था कि ईडी ने इस मामले में अभियोजन शिकायत दर्ज कर चुका है, इसलिए शिवेंद्र सिंह तो जेल में रखने का कोई मतलब नहीं बनता है। इस मामले में आरोपी के खिलाफ साक्ष्य दस्तावेजी हैं इसलिए गवाहों को प्रभावित करने या साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने की कोई गुंजाईश नहीं है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईडी के वकील अमित महाजन से पूछा था कि आरोपी को जेल में रखने की जरुरत क्यों है। तब अमित महाजन ने कहा था कि इस मामले में पैसे का ट्रांजैक्शन जटिल तरीके से किया गया है और पैसे कहां-कहां और कैसे-कैसे गया इसका पता लगाना मुश्किल काम है। उन्होंने कहा था कि अगर शिवेंद्र सिंह को जमानत दी गई तो जांच पर असर पड़ सकता है।
पिछले 17 जून को साकेत कोर्ट ने शिवेंद्र सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दिया था। साकेत कोर्ट ने कहा था कि आरोपी के खिलाफ आर्थिक अपराध की साजिश रचने के गंभीर आरोप हैं। कोर्ट ने कहा था कि आरोपी ने अनसिक्योर्ड लोन लिया और विभिन्न कंपनियों में ट्रांसफर किया। कोर्ट ने कहा था कि आरोपी इतना शातिर है कि उसने एक फोन की तस्करी की थी जिसे ईडी में हिरासत के दौरान जब्त किया गया था। सुनवाई के दौरान शिवेंद्र सिंह की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए ईडी ने कहा था कि घर से खाना मंगाकर खाने और अपने परिवार के सदस्यों से मिलने की छूट का लाभ उठाते हुए उसने अपने ड्राईवर से फोन मंगवाया। इस फोन से वह वाशरुम में लोगों बात करता था। इस तरह के शातिर अपराधी को अगर जमानत पर छोड़ा गया तो वो साक्ष्यों से छेड़छाड़ करेगा और गवाहों को प्रभावित करेगा ।
ईडी ने कहा था कि रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) के साथ धोखाधड़ी की गई। रेलिगेयर कंपनी में रहते हुए शिवेंद्र सिंह ने बैंकों से 2300 करोड़ रुपए का कर्ज लिया और उस पैसे को ग़लत तरीके से अपनी सहायक कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया और बैंक का कर्ज जानबूझकर नहीं चुकाया। इस मामले में शिवेंद्र समेत आरोपियों को ईओडब्ल्यू ने 10 अक्टूबर 2019 को गिऱफ्तार किया था। शिवेंद्र के अलावा इस मामले में मलविंदर सिंह, सुनील गोधवानी, कवि अरोड़ा और अनिल सक्सेना को गिरफ्तार किया गया था। हाईकोर्ट ने पिछले 18 जून को अनिल सक्सेना को नियमित जमानत दे दिया था।