दिल्ली यूनिवर्सिटी आज शाम तक शिकायत निवारण कमेटी को एक्टिव करे: हाई कोर्ट
नई दिल्ली, 14 अगस्त (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली युनिवर्सिटी को आज शाम तक शिकायत निवारण कमेटी को कार्यशील करने का आदेश दिया है। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि शिकायत निवारण कमेटी की पहली बैठक कल सुबह होगी। कोर्ट ने कहा कि कमेटी दिल्ली युनिवर्सिटी के अधिकारियों की मदद ले सकता है।
सुनवाई के दौरान दिल्ली युनिवर्सिटी की ओर से वकील सचिन दत्ता ने कोर्ट से कहा कि सिंगल बेंच के पास मामला ओपन बुक एग्जामिनेशन की तैयारियों को लेकर था। हमने सिंगल बेंच के सभी आदेशों का पालन किया है। दिल्ली युनिवर्सिटी ने खुद की शिकायत निवारण कमेटी बनाई है और इसे लेकर कोई विवाद नहीं है। कोर्ट ने पूछा कि क्या किसी छात्र ने आपकी कमेटी को चुनौती दी। ये तो सुनवाई के दौरान ही गठित कर दी गई थी। आपके लिए छात्रों का हित सर्वोपरि होना चाहिए। कोर्ट ने पूछा कि क्या आपने सिंगल बेंच के सामने कमेटी गठित करने की अनुमति ली थी। दिल्ली युनिवर्सिटी ने कहा कि हमने कोर्ट को बताया था।
कोर्ट ने दिल्ली युनिवर्सिटी से पूछा कि आप शिकायत निवारण कमेटी को काम क्यों नहीं करने दे रहे हैं, जबकि इस कमेटी में आपके प्रोफेसर भी हैं। दिल्ली युनिवर्सिटी ने कहा कि हमारी कमेटी पर भरोसा क्यों नहीं किया जा रहा है, ये हमारी स्वायतता का भी सवाल है। कोर्ट ने कहा कि किसी स्थान को साफ करने के लिए केवल हैंड सैनिटाइजर्स ही काफी नहीं होते हैं। आप तो खुद को खुली किताब कहते हैं। दिल्ली युनिवर्सिटी ने कहा कि शिकायत निवारण कमेटी में बाहरी लोगों को शामिल करना हमें परेशान कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि ये असाधारण स्थिति है और इसे प्रतिष्ठा के साथ जोड़ने की जरूरत नहीं है।
कोर्ट ने पूछा कि आज 14 अगस्त है और सिंगल बेंच का फैसला 7 अगस्त का है। आपने आदेश का पालन करने के लिए क्या किया है। कोर्ट ने कहा कि इसके लिए हमें निर्देश लेना होगा। हमें हमारी मूल शिकायत निवारण कमेटी को काम करने की अनुमति दीजिए। हाई कोर्ट के पूर्व जज को इस कमेटी की अध्यक्षता करने दीजिए। लेकिन तीन सदस्य जो कमेटी के सदस्य नहीं हैं उससे युनिवर्सिटी का काम प्रभावित होगा। हमारी ओर से नामित सदस्यों का एकेडमिक रिकॉर्ड काफी अच्छा है। तब कोर्ट ने कहा कि उनमें से किसी का शिकायतों से निपटने का कोई अनुभव नहीं है। तब दिल्ली युनिवर्सिटी ने कहा कि उन्होंने परीक्षाएं संचालित की हैं।
कोर्ट ने पूछा कि आप इसलिए घबराए हुए हैं कि शिकायत निवारण कमेटी के तीन सदस्य बाहरी हैं। तब दिल्ली युनिवर्सिटी ने कहा कि हम हमेशा ही पारदर्शी रहे हैं। तब कोर्ट ने कहा कि अपील दायर करने की आड़ में एक दिन के लिए भी शिकायत निवारण कमेटी को काम नहीं करने दिया गया। तब दिल्ली युनिवर्सिटी ने कहा कि इस कमेटी के काम की जरूरत ही नहीं महसूस हुई। छात्रों के 99 फीसदी ई-मेल महज पूछताछ के लिए थे। तब कोर्ट ने पूछा कि क्या ये सही नहीं है कि आपका एक ई-मेल काम नहीं कर रहा था। तब दिल्ली युनिवर्सिटी ने कहा कि इसे तुरंत सुधार लिया गया था। तब कोर्ट ने कहा कि तब तो शिकायतें भी होंगी। आज के डेट में ई-मेल आईडी को लेकर कोई शिकायत नहीं है। दिल्ली युनिवर्सिटी ने कमेटी में वकीलों के शामिल होने पर सवाल उठाया। तब कोर्ट ने कहा कि अगर आप इतने पाक-साफ हैं तो बाहरी लोगों को जांच करने दीजिए।
कोर्ट ने कहा कि जब तक हितों का टकराव नहीं हो तब तक बाहरी लोगों को कमेटी में रखा जा सकता है। कोर्ट ने सुझाव दिया कि वो चाहे तो अपनी चुनी हुई शिकायत निवारण कमेटी में से एक सदस्य को सिंगल बेंच की ओर से गठित पांच सदस्यीय कमेटी का सदस्य बना सकती है। दिल्ली युनिवर्सिटी ने कहा कि हमारे चार सदस्यों को कमेटी में शामिल किया जाए। तब कोर्ट ने इससे इनकार करते हुए कहा कि हमने आपको चारो में से एक को शामिल करने को कहा, हम बारगेन नहीं कर रहे हैं। छात्रों की ओर से वकील आकाश सिन्हा ने कहा कि छह सदस्यीय कमेटी बना दी जाए। कोर्ट ने कहा कि चेयरपर्सन का निर्णय ही मान्य होगा। उसके बाद युनिवर्सिटी ने डॉक्टर अजय अरोड़ा का नाम सुझाया। कोर्ट ने उनके नाम पर अपनी सहमति दे दी।
जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने पिछली 7 अगस्त को ओपन बुक एग्जामिनेशन को हरी झंडी देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस प्रतिभा रानी के नेतृत्व में पांच सदस्यी शिकायत निवारण कमेटी गठित करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट की हरी झंडी के बाद पिछली 10 अगस्त से दिल्ली युनिवर्सिटी की ओर से ओपन बुक एग्जामिनेशन शुरु हो चुकी है। पिछली 7 अगस्त को हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने ओपन बुक एग्जामिनेशन के संचालन के तौर-तरीकों पर चिंता जताते हुए दिल्ली युनिवर्सिटी को निर्देश दिया था कि छात्रों की शिकायतों पर गौर करने के लिए गठित शिकायत निवारण कमेटी की अध्यक्षता दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस प्रतिभा रानी करेंगी।
कोर्ट ने दिल्ली युनिवर्सिटी को निर्देश दिया था कि शिकायत निवारण अधिकारी छात्रों के ई-मेल का 48 घंटे के अंदर शिकायत निवारण करते हुए जवाब देंगे। अगर वे 48 घंटे के भीतर शिकायत का निवारण नहीं करते हैं तो संबंधित शिकायत को शिकायत निवारण कमेटी को रेफर कर दिया जाए।