दिल्ली हाईकोर्ट का डीयू को डिजिटल डिग्रियां जारी करने का निर्देश
नई दिल्ली, 07 सितम्बर (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली युनिवर्सिटी को निर्देश दिया है कि वो उन छात्रों को एक हफ्ते के अंदर डिजिटल डिग्रियां जारी करे जिन्हें विदेशी युनिवर्सिटीज में दाखिला लेना या नौकरी के लिए आवेदन करना है। जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने कहा कि डिग्री मिलना किसी छात्र के लिए एक खास मौका होता है लेकिन यहां तो डिग्री लेने में उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट इस बात से नाराज थी कि उसके आदेश के बावजूद दिल्ली युनिवर्सिटी छात्रों को डिजिटल डिग्रियां नहीं दे रही है। कोर्ट इस बात से भी नाराज थी कि दिल्ली यूनिवर्सिटी और उसके वकीलों के बीच कोई तालमेल नहीं है और वकीलों को ठीक से निर्देश नहीं दिए जा रहे हैं। कोर्ट ने दिल्ली युनिवर्सिटी को निर्देश दिया कि वो इस बात का हलफनामा दें कि जिन छात्रों ने तत्काल के लिए आग्रह किया है उन्हें कब डिग्री मिलेगी और जिन छात्रों ने सामान्य आग्रह किया है उन्हें डिग्री कब मिलेगी।सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि अभी तक तीस हजार छात्रों ने युनिवर्सिटी के पोर्टल पर आवेदन कर डिजिटल डिग्री की मांग की है।
बता दें कि हाईकोर्ट ने पिछले अगस्त महीने में दिल्ली युनिवर्सिटी को निर्देश दिया था कि वे छात्रों को ई-मेल के जरिये उनकी डिजिटल डिग्रियां जारी करे। सुनवाई के दौरान दिल्ली युनिवर्सिटी ने हाईकोर्ट को बताया था कि उसने मेडिकल छात्रों को डिजिटल डिग्री देने के लिए एक आनलाइन पोर्टल की स्थापना की है।
याचिका मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और युनवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल सायंसेज के 21 डॉक्टरों ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है की इन मेडिकल ग्रेजुएट को अमेरिका में विदेशी पूरा के लिए आवेदन करना है और डिग्रियों के बिना आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। छात्रों की ओर से वकील सार्थक मगन ने याचिका में कहा है कि यह छात्र 2018 में ही मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से ग्रेजुएट हो चुके हैं लेकिन इन्हें इनकी डिग्री नहीं दी जा रही है। डिग्रियों के लिए इन छात्रों ने कई बार प्रयास किया लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। इन छात्रों को अमेरिका में रेजीडेंसी प्रोग्राम के लिए आवेदन करना है। रेजीडेंसी प्रोग्राम के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 15 अगस्त है।
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस छात्रों ने भी ऐसी ही याचिका दायर की । इन छात्रों ने 2018 में ग्रेजुएट किया था लेकिन उन्हें अभी तक डिग्री नहीं मिली है। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया है कि डिग्री न मिलने की वजह से याचिकाकर्ता अमेरिका में अपने रेजीडेंस प्रोग्राम के लिए आवेदन नहीं कर पा रही है।