आइएएस लक्ष्मी को तमिलनाडु कैडर में ट्रांसफर के लिए एनओसी जारी करे प.बंगाल सरकार: हाई कोर्ट
नई दिल्ली, 18 नवंबर (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया है कि वो पश्चिम बंगाल कैडर की आइएएस अधिकारी लक्ष्मी भव्य तन्नीरु को तमिलनाडु कैडर में ट्रांसफर करने के लिए दो हफ्ते के अंदर अनापत्ति प्रमाण-पत्र (एनओसी) जारी करे। जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने ये आदेश दिया।
लक्ष्मी का आइएएस के लिए एक सितंबर 2015 को चयन हुआ था, जिसमें उन्हें पश्चिम बंगाल कैडर आवंटित किया गया था। लक्ष्मी की शादी तमिलनाडु कैडर के आइएएस अफसर राजा गोपाल सुंकारा से हुई। शादी के बाद लक्ष्मी ने अपने पति के साथ रहने के लिए केंद्र सरकार से मांग की। उन्होंने कहा कि उनका कैडर पश्चिम बंगाल से ट्रांसफर कर तमिलनाडु किया जाए। केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार से इसके लिए सहमति मांगी लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने अफसरों की कमी का हवाला देते हुए तमिलनाडु कैडर में ट्रांसफर की अर्जी खारिज कर दी। तमिलनाडु सरकार ने लक्ष्मी को अपने कैडर में लेने पर अपनी सहमति दे दी।
तीन साल बाद लक्ष्मी ने अपनी बारी का इंतजार करते हुए दिसंबर 2019 में दोबारा पश्चिम बंगाल सरकार से कैडर ट्रांसफर करने के लिए आवेदन किया, लेकिन राज्य सरकार ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। तब लक्ष्मी ने कैट का रुख किया। कैट ने दो फरवरी को पश्चिम बंगाल सरकार को आवेदन पर दोबारा विचार करने का आदेश दिया। कैट के आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने फैसला नहीं लिया। तब लक्ष्मी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुनवाई के दौरान लक्ष्मी की ओर से वकील अन्वेष मधुकर और प्राची निर्वाण ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने इस बीच कई आइएएस और आइपीएस अफसरों का कैडर ट्रांसफर किया है। राज्य सरकार याचिकाकर्ता का कैडर ट्रांसफर करने में भेदभाव कर रही है। राज्य सरकार के रुख की वजह से लक्ष्मी अपना परिवार भी नहीं बसा पा रही हैं।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि कोरोना की स्थिति से निपटने के लिए राज्य में अफसरों की काफी कमी है, इसलिए वो लक्ष्मी का कैडर ट्रांसफर नहीं कर सकती है। राज्य सरकार ने कहा कि कैडर ट्रांसफर राज्य सरकार का विशेषाधिकार है। कोर्ट ने सरकार की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि लक्ष्मी ने 2016 में जब कैडर ट्रांसफर के लिए आवेदन दिया था, उस समय कोरोना नहीं था। अब जब हम महामारी से काफी हद तक उबर आए हैं तो इस दलील का कोई मतलब नहीं है। कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल कैडर के