ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स पर रोक लगाने के मामले में आईसीएमआर से जवाब तलब

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नई दिल्ली, 12 अगस्त (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स पर रोक लगाने के हाईकोर्ट के आदेश को लागू नहीं करने पर दिल्ली के मुख्य सचिव और आईसीएमआर के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए आईसीएमआर को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच ने 7 सितंबर को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया।

आज सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि आईसीएमआर ने जवाब दाखिल नहीं किया है। उसके बाद कोर्ट ने आईसीएमआर को 7 सितंबर के पहले जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। 12 नवंबर 2020 को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था। यह याचिका जयपुर के एक पैथोलॉजिस्ट रोहित जैन ने दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा कि 6 अगस्त 2020 को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और आईसीएमआर को ऐसी ऑनलाइन लैब्स के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था लेकिन इस आदेश का पालन नहीं किया गया। उन्होंने कहा था कि healthian और 1mg जैसे ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स दिल्ली में अवैध तरीके से काम करके आम लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही हैं।

रोहित जैन ने ही अगस्त 2020 में भी याचिका दायर करके कहा था कि ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स की ओर से लोगों के खून का सैंपल लेना लोगों की जान को खतरा में डाल सकता है क्योंकि इन लैब्स की कोई प्रामाणिकता नहीं है। याचिका में कहा गया था कि ये ऑनलाइन पैथोलॉजिकल लैब्स बिना किसी अनुमति के चल रहे हैं। याचिका में कहा गया था कि ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब क्लीनिकल एस्टैबलिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्टर्ड नहीं किए गए हैं। इसलिए मरीजों का सैंपल लेने के लिए वे मेडिको लीगल रुप से उतरदायी नहीं हैं। याचिका में ऑनलाइन एग्रीगेटर के जरिये चलने वाले पैथोलॉजी लैब्स को बंद करने की मांग की गई थी।

ऑनलाइन पैथोलॉजी सर्विस के जरिये लोग अपनी सुविधा के मुताबिक सैंपल देने के लिए बुकिंग करवाते हैं। याचिका में कहा गया था कि इन लैब्स के संचालकों के क्वालिफिकेशन का वेरिफिकेशन भी नहीं किया गया है। ये आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए कोरोना का अनधिकृत रुप से टेस्ट कर रहे हैं। ऐसा करना संविधान की धारा 21 के तहत जीने के अधिकार का उल्लंघन है।


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