हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से मांगी आईसीयू बेड के आरक्षण की स्टेटस रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 28 दिसम्बर (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए आईसीयू बेड का आरक्षण 80 फीसदी से घटाकर 60 फीसदी करने की समीक्षा कर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की वेकेशन बेंच ने दिल्ली सरकार को 8 जनवरी तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।
आज सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने 26 दिसंबर को हुई बैठक का स्टेटस रिपोर्ट दाखिल किया। दिल्ली सरकार ने कहा कि सरकार आईसीयू बेड का आरक्षण 80 फीसदी से 60 फीसदी करने के फैसले की 5 जनवरी को समीक्षा करेगी। तब कोर्ट ने दिल्ली सरकार को समीक्षा बैठक की रिपोर्ट 8 जनवरी के पहले दाखिल करने का निर्देश दिया। 24 दिसम्बर को सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि विशेषज्ञ कमेटी ने 33 निजी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के लिए आईसीयू बेड में आरक्षण 80 फीसदी से घटाकर 60 फीसदी करने का फैसला किया है लेकिन इस पर अंतिम फैसला दिल्ली सरकार लेगी।
सुनवाई के दौरान अस्पतालों की ओर से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा था कि वे 23 दिसम्बर को कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित बेडों की संख्या कम करने और गैर-कोरोना मरीजों का इलाज शुरु करने के लिए कमेटी की बैठक के मिनट्स के बारे में बताना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि ये तथाकथित कमेटी तब बनी है जब केस कम हो रहे हैं। 23 दिसंबर को कोरोना मरीजों के लिए कुल आईसीयू बेड 1319 थे। मनिंदर सिंह ने हाईकोर्ट के सिंगल बेंच 12 नवंबर के आदेश के बारे में बताते हुए कहा था कि इस आदेश के बाद से अब तक काफी परिवर्तन आ गया है। उन्होंने कहा कि संक्रमण की दर बढ़ने की वजह से डिवीजन बेंच ने रोक लगाया था।
मनिंदर सिंह ने कहा कि आईसीयू बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखने के आदेश के बाद भी 1075 आईसीयू बेड खाली पड़े थे। आईसीयू बेड खाली रखने का प्रावधान पूरी दुनिया में कहीं नहीं है। गैर-कोरोना मरीजों को आईसीयू से वंचित रखना ठीक नहीं है। सरकार का निजी अस्पतालों में कोई हिस्सा नहीं है इसीलिए उन्होंने ये आदेश जारी किया है। सरकार का ये आदेश संविधान की धारा 14,19 और 21 का उल्लंघन है।
मनिंदर सिंह की दलीलें खत्म होने के बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि 80 फीसदी आईसीयू बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखने का आदेश जारी रखना अमानवीय है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कमेटी की बैठक का पूरा मिनट्स दिखाने को कहा। आखिर ये बैठक कब तक चलेगी। तब दिल्ली सरकार ने कहा कि हम कोरोना से निपट रहे हैं। सरकार इस संक्रमण को कम करना चाहती है। लेकिन ये तेजी से फैलने वाली बीमारी है। 21 दिसंबर को हुई बैठक में आईसीयू बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षण कम करने के लिए कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी में डॉक्टर और विशेषज्ञ हैं।
पिछले 23 दिसम्बर को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को ये बताया गया कि दिल्ली सरकार ने निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित बेडों की संख्या कम करने और गैर-कोरोना मरीजों का इलाज शुरु करने के लिए कमेटी का गठन किया है। निजी अस्पतालों की ओर से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित बेडों की संख्या कम करने के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। मनिंदर सिंह ने कहा था कि एक के बाद दूसरी कमेटियां बनाई जा रही हैं। वे निजी अस्पतालों के ऊपर बैठ गए हैं। उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन के वायरस का भारत में कोई प्रभाव नहीं है। वे इसमें देरी करना चाहते हैं।
दिल्ली सरकार की दलील का अस्पतालों की ओर से पेश वकील मनिंदर सिंह ने दिल्ली सरकार से कहा था कि आप कभी भी जहांगीरी फरमान जारी कर देते हैं। उन्होंने कहा था कि कोर्ट इस मामले में दो बार सुनवाई स्थगित की है। दिल्ली सरकार हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर सुनवाई टालना चाहती है। मनिंदर सिंह ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि आप खुद का इंफ्रास्ट्रक्चर क्यों नहीं मजबूत कर रहे हैं। आप कोरोना के नाम पर हर चीज का राष्ट्रीयकरण करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि इस पर जल्द फैसला हो। क्या ये दलील सही है कि मरीज निजी अस्पताल को प्राथमिकता देते हैं इसलिए वे राष्ट्रीयकरण जारी रखेंगे। मरीज सरकारी अस्पताल को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं। गैर-कोरोना मरीजों के लिए कोई बेड नहीं मिल रहा है।
सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में याचिका दायर किया है। सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को फैसला करने को कहा। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगा दिया था।

 


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